अभिनव इमरोज़, अप्रैल 2022

इदं न मम इन्द्र क्रतुं न आभर, पिता पुत्रेभ्यो यथा शिक्षा णो अस्मिन् पुरुहूत यामनि जीवा ज्योतिरशीमहि।। -ऋग्वेद हे परमात्मन पिता पुत्र को जैसे देवें ज्ञान युक्त कर्मों का प्रभुवर वर देना हे बहुस्तुत ईश्वर इस जीवन पथ में शिक्षित करके जीवित जागृत पथ आलोकित कर देना काव्यानुवाद: श्री सत्य प्रकाश उप्पल मोगा (पंजाब), मो. 98764-28718 ___________________________________________________________________________________ पूज्यवर राजनारायण बिसारिया जी को श्रद्धांजलि पूज्यवर राजनारायण बिसारियाजी का पवित्र स्मरण। प्रियता और पूज्यता व्यक्ति, वस्तु और परिस्थिति सबके दो पक्ष होते हैं, जिनसे ये स्मृतियों में चिरकाल तक जीवित,सुखद और भास्कर बनें रहते हैं। बिसारियाजी मुझे प्रियतर भी थे, और पूज्यवर भी मान्य थे। उनसे मेरा प्रत्यक्ष परिचय कभी नहीं हुआ, किंतु बीबीसी, लंदन के ‘‘पत्र मिला ‘‘कार्यक्रम के प्रसारणों में उनकी शैली की जो छाप मुझ पर पड़ी वह शिलालेख के स्वर्णाक्षरों के समान अब भी अंकित है। मैं बहुधा बीबीसी के प्रसारणों के संबंध में अपनी टिप्पणी अवश्य लिखता था जिसे वे गंभीरता से लेकर पसंद करते और प्रसारणों