हिन्दी का वैश्विक महत्व


निशा नंदिनी भारतीय, -तिनसुकिया, असम, मो. 9954367780 


वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व सर्व साधारण के समक्ष दिखाई देता है। हिंदी भाषा विश्व के लोगों को जोड़ने का कार्य कर रही है। यह बहुत ही सरल भाषा है सभी देशों के लोग इसे आसानी से सीख जाते हैं। वैश्विक स्तर पर हिंदी को और अधिक सम्मानित करने के लिए तकनीकी ज्ञान को हिंदी भाषा में परोसा जाए तो अच्छा होगा। विज्ञान संबंधी ज्ञान भी यथासंभव हिंदी में होना चाहिए। साहित्कारों को अधिकाधिक भ्रमण करके देश विदेश के साहित्यकारों से मिलना चाहिए। 

एक राष्ट्रीय अस्मिता और राष्ट्रीय चरित्र का विकास भाषा के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा होता है। भाषा को कोई गढ़ता नहीं है वह तो हवा पानी की तरह सहज भाव से बह सकती है। और यह सहजता से बहने का गुण हिन्दी में बखूबी दिखाई देता है। 

हिन्दी बोलने के लिए प्रयास या प्रयत्न की उतनी आवश्यकता नहीं, जितनी सहृदय होने की होती है। पूरे विश्व में हिन्दी भाषा को मान सम्मान मिल रहा है। पर जहां 

सर्वाधिक मिलना चाहिए था वहां स्थिति बालू के ढेर जैसी है सिर्फ हवा का एक झोंका ही बहुत है। सुमात्रा, जावा, सूरीनाम, बाली आदि कितने ही छोटे छोटे देश पूरी तरह हिन्दी तथा भारतीय संस्कृति में रचे बसे हैं। 

हिंदी में एक एक भाव को प्रकट करने के लिए अलग अलग शब्द हैं। जोकि अन्य भाषाओं के पास नहीं है।  ‘‘यू‘‘ शब्द बच्चे से लेकर बूढ़े तक के लिए प्रयोग होता है। जबकि हिंदी में हर व्यक्ति की उम्र अनुसार तू , तुम ,आप आदि का प्रयोग होता है। यही कारण है कि विदेशी इस भाषा के मोह में खींचे चले आते हैं। हिंदी भाषा सभी भाषाओं के शब्दों को अपने में समेटे हुए है इस लिए हिन्दी का शब्द कोश बहुत विस्तृत है इसमे संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी के शब्दों के साथ साथ अंग्रेजी के शब्दों को भी स्थान दिया गया है। इस लिए हिंदी बोलना और भी सरल हो जाता है तथा इसकी मिठास तो जग जाहिर है सुनने वाले के कानो में मिस्री सी घुल जाती है और बोलने वाले को भी आनंद का अनुभव होता है। 

सम्पूर्ण विश्व के किसी भी भू भाग पर हिन्दी बोलने वाले आसानी से मिल जाते हैं। विश्व  के कितने ही देशों में हिन्दी भाषा एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है और लोग बहुत चाव से पढ़ते भी हैं। 

दिनोदिन वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व बढ़ता जा रहा है। यह कैसी विडम्बना है कि फीजी जैसे देश की राष्ट्र भाषा हिंदी है और भारत की राष्ट्र भाषा अब तक हिंदी नहीं बन पाई है जबकि आक्सफोर्ड शब्दकोश में पांच सौ में से ढाई सौ शब्द हिंदी के है। अगर हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा का रूप ले ले तो  विश्व में भारत स्थान सर्वोपरि होगा।


भारत माता की जय ।


हिन्दी दिवस पर्व है

इस पर हमें गर्व है।


गुलामी को छोड़ दो

हिन्दी से नाता जोड़ लो।


सम्मानित हो राष्ट्रभाषा

सबकी यही अभिलाषा।


माँ से सीखी हमने हिंदी 

माँ समान प्यारी ये हिंदी।

 

हम सबकी यही पुकार

हिन्दी से सजे घर द्वार।

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