अपनी हस्ती से मुलाक़ात

 


देवेंद्र कुमार बहल, वसंतकुंज, नई दिल्ली, मो. 9910497972


 


"जीने को जिए जाते हैं मगर सांसों 


में चिताएं जलती हैं" साहिर


 


इन चिताओं को चिंतन में परिवर्तित 


करने की कोशिश से ही जीवन जीने 


की कला का प्रादुर्भाव होता है। 


शब्द शक्ति से प्रेरणा और प्रोत्साहन 


मिलता है और अर्थों से चेतना 


प्रफुल्लित हो उठती है। आप एक 


कदम चलिए तो एक आदर्श गर्भित


विचार आप को दस कदम आगे ले 


जाने की ऊर्जा प्रदान करता है। 


अंततः आप अपनी हस्ती से रू-ब-रू 


हो पाते हैं। हम जब किसी प्रबुद्ध 


व्यक्ति के जीवन में झांक कर देखते 


हैं तो खुद-ब-खुद अपने ही जीवन 


की झलक और अपनी ही सोच के 


प्रतिविम्ब देखने का अवसर पा लेते हैं। 


और तो और कई बार अपने ही 


किसी दबे, छिपे और दमित विचार 


की पुष्टि और अभिव्यक्ति मिल जाती है।


 



यह सरस निबंधमाला 


डा० तुलसी का हमारे आत्मविश्वास 


और आत्मविकास के लिए मुफीद 


नुस्खा और आत्मविकारों के लिए 


अत्यंत उपयोगी प्रतिकारक साबित 


होगा और हम अपनी हस्ती से दोस्ती 


कायम करने में सफल रहेंगे।........


 


 


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