भिखारी

कश्मीर घाटी में किसी स्थान पर अलगाववादियों द्वारा एक बैठक बुलायी गयी थी। जिसका मुख्य मुद्दा था- “पाकिस्तान के इशारे पर भारतीय सेनाओं पर पत्थर चलाने के लिए पैसे का लालच देकर कुछ स्थानीय नवयुवकों को बलगला कर तैयार करना। इस पर विचार-विमर्श चल ही रहा था कि अचानक एक भिखारी 2 6 भिक्षाटन करता हुआ वहाँ आ पहुँचा और अल्लाह के नाम पर कुछ भीख "देने के लिए उसने अपनी झोली फैला दी।


उन देश विरोधियों के बीच से किसी ने कहा' भेष-भूषा और भाषा से तुम "मुसलमान "लगते हो " "जी..जी.. मैं भी में मुसलमान लगत हा जा..जा.. म मा मुसलमान हूँ..." भिखारी ने अपनत्व भाव से कहा


 तब उसने उस भिखारी के साथ सहानुभूति का भाव प्रदर्शित करते हुए उसे एक खाली खाट पर बैठने का संकेत दिया।


उन अपरिचित व्यक्तियों के द्वारा अपने प्रति सहानुभूति का हाव-भाव देखकर भिखारी को अनुभव हुआ कि ये लोग मुझे अपना जात–भाई जानकर शायद मेरी विशेष सहायता करेंगे। अतः यह सोचकर धैर्यपूर्वक उन लोगों की ओर दयनीय दृष्टि से देखने लगा।


तुम इस बात को नहीं जानते हो कि हिन्दुस्तान को सुल्तान सदियों तक मुसलमान ही रहा है और उसके अधीन में ही हिन्दुओं को रहना पड़ा है। लेकिन आज तुम इस्लाम की दुहाई देकर अल्लाह के नाम पर भिख माँगते फिरते हो, यह हम मुसलमानों को बिल्कुल पसंद नहीं है। वैसे देखने में भी जवान लगते हो, क्योंकि तम्हारी उम्


वैसे देखने में भी जवान लगते हो, क्योंकि तम्हारी उम् भी लगभग पैतीस चालीस वर्षों से अधिक की नही लगती है। तो क्यों नहीं हमलोगों की सहायता से परिश्रम कर प्रतिदिन पाँच सौ हजार रुपये कमा कर अपने परिवार को सुख और स्वाभिमानपूर्वक रखोगे..?" भिखारी ने बड़े उत्सुक भाव से पूछा "-जी...जी... में तैयार हूँ कहा जाए, कौन काम करना होगा...?"


अलगाववादियों ने विनम्र भाव से उसे समझाते हुए कहा । "इस्लाम धर्म के कहर विरोधी कश्मीर में तैनात सैनिकों पर पत्थर चलाना होगा।"... काम कोई बहुत परिश्रम का नहीं है, किन्तु थोड़ी सावधानी बरतनी अवश्य होगी। वैसे तुम्हारे साथ और लोग भी रहेंगे। यह सुनकर भिखारी अल्प काल के लिए अबाक अवश्य होगी। वैसे तुम्हारे साथ और लोग भी रहेंगे। 


यह सुनकर भिखारी अल्प काल के लिए अबाक अवश्य हो गया, लेकिन शीघ्र ही साहसपूर्वक जबाव देते हुए कहा


"यह काम मैं कभी नहीं कर सकता...?" "क्यों..?" अलगाववादियों ने पूछा-


"पहले हम भारतीय कहलायेंगे उसके बाद मूसलमान या हिन्दू । जातीय धर्म से बहुत ऊपर होता है- राष्ट्रधर्म ।”


पुनः उनसे कहा- "हम गरीब, विवश और भिखारी हैं जरूर। लेकिन गद्दार, बेईमान और भीतरघाती नहीं है। अतः भारत बहुत बड़ा देश है। हम भी भिक्षाटन कर अपना गुजारा कर लेंगे, किन्तु इस्लाम के नाम पर देश के प्रति वेवफाई या गद्दारी कभी नहीं कर सकते।


यह कहकर वह भिखारी अपनी झोली समेटकर वहाँ से चल दिया।



 


 


 


 


 


 


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