यकायक हो गया
गजल
विचित्र विषय कथानक हो गया
अनाड़ी, अनुवादक हो गया
हद हो गई गली का गुंडा
मुहल्ले का पालक हो गया
जिसे नाकाबिल कहते रहे
वही सिद्ध विनायक हो गया
कल तलक था बौना विदूषक
चर्चित महानायक हो गया
बना फिरता सूरमा जब से
शातिर का सहायक हो गया
हादसा बयां करना मुश्किल
अनर्थ सब यकायक हो गया
वाह भई वाह
वायदा भूल गए, वाह भई वाह
कायदा भूल गए, वाह भई वाह
अरे सौ सुनार की एक लुहार की
कहावत भूल गए, वाह भई वाह
राज दरबार में तिलक लगते ही
उपकार भूल गए, वाह भई वारह
बड़ों के सामने नित्य बौनापन सभ्यता भूल गए, वाह भई वाह जो आजीवन जिए तुम्हारे लिये आभार भूल गए, वाह भई वाह दौलत तो सब आपस में बांटली मां बाप भूल गए, वाह भई वाह