हाइकु काव्य
परिवर्तन
प्रकृति का है
प्रमोदित नियम
परिवर्तन।
नभ को देखो
बदलता है रंग
प्रत्येक क्षण।
प्रभु तुम्हारा
दृश्य बदलना है
मनोरंजन।
कभी तो सूखा
कभी वर्षा ही वर्षा
धन्य मौसम।
नाटक जैसा
ये अदल बदल
है सुहावन।
राग रंगीन
बहुरंगी विश्व है
प्रभु का मन।
बागों में देखो
महके भिन्न-भिन्न
खिले सुमन।
हवा री हवा
पूर्वा कभी पछिया
प्रभु का जश्न