नेता जी की नींद - कविता

जनता के प्रतिनिधि


जनता को बुद्धु बनाकर


जनता के पैसे से


जनता पर राज करने वाले


जनता के चहेते नेता जी


अगर एक दिन जाकर


किसी ग़रीब जनता के


घर में रात गुजारेंगे


सोयेंग उसे खाट पर


काटेंगे जब मच्छर


बगल में जब भौंकेंगे कुत्ते


तब उन्हें समझ में आयेगा


कि वो गरीब दिन भर


हाड़तोड़ मेहनत के बाद


दो चार सुखी रोटी खाकर


नल से पानी पीकर


सोकर चारपाई पर


किस तरह खर्राटे भरता है


और नेता जी को नींद नहीं आएगी


वो रात भर जगे रह जायेंगे


सुबह हड़बड़ा कर उठेंगे


भागेंगे अपने एयर कंडीशन


महल की तरफ


जिसे खड़ा करने में


कितने गरीबों का खून


बहा है पसीना बनकर


लूट गया है कितनों का हक


उजाड़ी गई है कितनी ही बस्तियां


छीन गया है कई मासूमों का प्यार


उन्हें नींद कहाँ से आयेगी


नींद तो उन्हें आती है


जो करते हैं परिश्रम


नेता जी लोग तो


मुफ्त का माल उड़ाते हैं


सेवा के नाम पर


घोटाला करते है।


अगला घोटाला


कौन-सा करना है


इसी उघेड़बुन में


जगे रह जाते हैं


इसी उधेडबुन में


जगे रह जाते हैं।



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