दिल का दर्पण यह आँसू - कविता
मुस्कानों का मौसम बीता आँसू की बरसात आ गई।
पूनम का चंदा छिप बैठा काली मावस रात आ गई।
अंधकार से अब है नाता,
कहीं उजाला दिख ना पाता।
नभ पर काली घटा छा गई,
आँखों से आँसू का तांता।
जीवन रण जीतने चला था किन्तु पराजय मात आ गई।
मधुबन के देखे थे सपने,
आतप आकर लगा दहकने।
चंदा की शीतलता खोई,
हुए पराये जो थे अपने।
मधुऋतु के मंजर के पहले पतझड़ की सौगात आ गई।
शूलों को जीवन भर ढोया,
पर मैंने संकल्प न खोया।
सभी शूल बन गये फूल अब,
हँसते आँसू से मुख धोया।
भूल गये दुःख के सब दुखड़े सुख की जब बारात आ गई।
दुःख में आँसू, सुख में आँसू,
दिल का है दर्पण यह आँसू।
आँसू है जीवन का साथी,
जीवन की गहराई आँसू।
आँसू हैं जीवन के मोती मूल्यांकन की बात आ गई।