प्यार से भरा
हृदय न तोड़ना
नेह चाहूं जोड़ना
तुम्हारे संग
सांझ ढ़लते
हृदय का दीपक
बुझने है लगते
कभी तो आओ
आकर देखो
आकुल तुम बिन
तरसे मेरा मन
घायल पड़ा
जीवन सांझ
ढ़लने को है अब
छलकते नयन
चली न जाऊं
एकाकी सोचे
मैं नितांत अकेली
जैसे एक पहेली
कोई बुझाये
मीत ये प्रीत
अधूरी ना रह जाये
कहीं छुट न जाये
आस का दामन