ग़ज़लें
तेरी नमाज में जो मिरी आरती मिले
हिंदोस्तां को एक नई जिंदगी मिले
तुझ को ख़ुदा से मुझको मिरे ईश्वर से दोस्त
हर पल नया सुरूर नई रौशनी मिले
नफरत दिलों में ले के जो रक़्सां हैं हर गली
उनको मिरा पयाम, मिरी शाइरी मिले
उनका यही है दा'वा कि सूरज उन्हीं का है
मेरी यह जिद है सब को ही धूप एक सी मिले
''जाहिद '' है जिनके जे़हन में मज़हब ही का जुनून
काश ! उनको नयी सोच, नसीहत नई मिले।