ग़ज़लें
न हो उदास कि दस्ते-ख़ुदा1 है सर पे तिरे
सवाब2 पाया उसी ने, झुका जो दर पे तिरे
तुझे ख़बर भी न होगी वो झोली भर देगा
बहुत हसीन-सा मंज़र3 दिखेगा घर पे तिरे
ग़मे-हयात4 से तय है, ख़ुदा निकालेगा
हिफ़ाज़तें5 जो करे साथ रह सफ़र पे तिरे
तिरे जलाल6 को मिलने न ख़ाक7 में देगा
वो रहमतें ही करेगा सदा हुनर8 पे तिरे
तिरी दुआ में अगर 'नाज़ली' है सच्चाई
ख़ुशी की बारिशें बरसाएगा वो घर पे तिरे