संपादकीय

17 अगस्त, 2019 को मेरे एक मित्र श्री जगजीत सूद का जन्मदिन है। अब वह 71 साल के हो गए हैं। लेकिन हमारे रिश्ते की उम्र 46 साल है। इस दोस्ती के रिश्ते को अपने संपादकीय का हिस्सा बनाने का मकसद सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें अपने जीवन की एक खास खोज़ का नतीजा मानता हूँ। ऐसे ही एक मेरे और दोस्त हैं, श्री विजय मल्होत्रा, उनका जन्मदिन 15 अगस्त को पड़ता है। उनके साथ भी मैंने रिश्ते की बुनियाद को पुख़्ता और खुशहाल करने के लिए कई प्रयोग किए। मेरी खुशकिस्मती ही समझो कि मेरे प्रयोग दोनों शख़्सियतों पर कामयाब हुए। दोनों ही अपने अपने उपक्रमों में एक सफल, प्रगतिशील, संवेदनशील और समाज के प्रति जागरूक, समर्पण एवं प्रतिबद्धता के साथ अपने-अपने जीवन में नए आयाम जोड़ रहे हैं। मेरी दुआ है कि उनके जीवन में तरक्की और तरोताज़गी में बरकत होती रहे और वह समाज के लिए और भी फायदेमंद साबित हों।



श्री जगजीत सूद का जिक्र अभिनव इमरोज के लिए इसलिए भी अहम है कि उनमें छिपे एक लेखक ने 2013 में जन्म लिया। अपनी प्रिय पत्नी कमल के दिवंगतोपरान्त उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी जो विशेषतया प्रिय कमल के किरदार को नुमायां करने की एक कामयाब कोशिश साबित हुई। इसका टाईटल- 'जश्ने ज़िंदगी और अंग्रेजी में अनुवाद का नाम है- 'स्वअम त्मजनतदे'। अभिनव इमरोज़ में भी उनकी रचनाएँ समय≤ पर प्रकाशित होती रहती हैं। जब से श्री जगजीत सूद ने लेखन को अपना 'पास टाईम' बनाया है, मैंने उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में कई साकारात्मक बदलाव देखें हैं। अपने कामयाब विज़नेस के आलावा सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में भी उनका खास दख़ल और योगदान बढ़ गया है। उनकी अपनी फाऊँडेशन श्ब्।छ थ्प्ळभ्ज् ब्।छब्म्त्श् जागरूकता एवं कैंसर की रोकथाम के लिए अपना काम बाखूबी निभा रही है। श्री विजय मल्होत्रा का भी एक एन.जी.ओ 'स्वजने च्मजंस' से गहरा संबंध है जो उनकी बेटी सुश्री सलोनी भारद्वाज चलाती है।


श्री जगजीत सूद एवं श्री विजय मल्होत्रा के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ-



जगजीत सूद



विजय मल्होत्रा


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