कहानी

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शेख फरिउद्दीन अत्तार की गणना ईरान के महान सूफी कवियों में होती है। इनके जीवन काल की अवधि (1145-1221), बताई जाती है।


शेख फरिउद्दीन अत्तार निशापुरी ने आरम्भ में अपना ख़ानदानी पेशा अत्तारी का किया, परन्तु एक दिन शवयात्रा को देखकर अचानक उनका मन भौतिक संसार के भ्रम से फिर गया और देखते-देखते उन्होंने अपनी दुकान स्वयं लुटा दी और इरफान की ओर आकर्षित हुए। अत्तार ने सूफी काव्य शैली की सारी सुन्दरता व गरिमा उनके उत्कृष्ट भावों की गहराई और विचारो की महानता में है।


अत्तार के काव्य संग्रह में उनकी गजलें और कसीदे हैं। उनके प्रसिद्ध मस्नवी काव्यखण्डों में इसरारनामा, इलाही नामा, मनतकुत्तैर, खुसरूनामा और गुल व हरमुज़ है जिसमें से लगभग सब ही सूफी रंग से ओत-प्रोत हैं।


''बकताश और राबे” उनके मस्नवी 'इलाही नामे' से उद्धृत की गई है जिसकी नायिका राबे वास्तव में ईरानी भाषा साहित्य की सर्वप्रथम कवयित्रियों में उसका नाम आता है। कथा में अत्तार ने उसके स्वयं के शेर दिये हैं।


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