बाल कविताएँ

गौ माता


नानी से पूछा ननकू ने


तुम मम्मी की माता


गाय जानवर होती, उससे


कैसे माँ का नाता?


 


नानी मुस्काकर बोली-


है नहीं रूप में समता


पर गुण में दोनों के बीच


न होती खड़ी विषमता


 


दूध पिलाकर माता


बच्चों का पालन करती है


गौ अपना दे दूध अमृत-सा


वही शक्ति भरती है


 


गोबर मूत्र गाय के होते


हैं पवित्र उपयोगी


सहनशीलता में वह होती


 


जैसे सच्चा योगी


त्याग भरा माँ का जीवन है


वह ममता की मूरत


गौ में वही त्याग-ममता है


भले न मिलती सूरत


 


भारतीय जीवन में गौ की


महिमा बड़ी निराली


इसीलिए श्रद्धावश उसने


माँ की पदवी पाली


 


 


चींटी की सीख


चींटी रानी बड़ी सयानी


नानी कहती रोज कहानी


 


जब देखो तब चलती रहती


कभी न थकती कभी न रूकती


पता नहीं कब सोती है वह


सोच-सोच होती हैरानी


 


भले देखने में छोटी हो


पर किस्मत की क्यों खोटी हो


जब मेहनत से और लगन से


रोज जुटाती दाना-पानी


 


हाथ नहीं खुरपी कुदाल है


पर देखो तो क्या कमाल है


अपना घर किस तरह बनाती


साहस उसका बेमिसाल है


 


पर्वत हो या खंदक-खाई


कैसी भी हो कठिन चढ़ाई


झुंड बांधकर चल पड़ती हैं


मिल्लत में है छिपी भलाई


 


कण-कण की कीमत बतलाती


हर पल को अनमोल बनाती


सचमुच यह छोटा प्राणी पर


बड़ी सीख हमको दे जाती


 


 


गाती कोयल


अमराई में आती कोयल


मीठे गीत सुनाती कोयल


उसकी कूक जभी दुहराता


और जोर से गाती-कोयल


 


उसका रंग निपट काला है


स्वर लेकिन मधु का प्याला है


उसे पता क्या मुझ पर कितना


उस स्वर ने जादू डाला है


 


अमराई तड़के उठ आता


बिस्तर मुझको नहीं सुहाता


मम्मी दूध लिए बैठी हो


पर मुझको कुछ जरा न भाता


 


कूक लगाती डाली से जब


कोयल कहाँ चली जाती कब


मैं उदास वापस घर आता


मुझको भूख सताती है तब



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