बाल कविताएँ
ऐसा हम व्यवहार करें
चलो साथी वहाँ चलें
हो चढ़ाई और ढलान
हमें सफलता पाने का
अच्छा मिले जहाँ संज्ञान
निंदा ईष्र्या नहीं करें
करें ज्ञान आदान-प्रदान
आदर करना सबका सीखें
नहीं किसी का हो अपमान।
हँस बोलकर खेलें हम हैं
सब आपस में भाई-भाई
निर्मल जल बहे कल-कल
निकाल फेंके मन की काई।
ईश्वर का संदेशा है यह
हर मानव से प्यार करें
नहीं किसी को दुःख पहुँचे
ऐसा हम व्यवहार करें।
बच्चे
कितने लगते अच्छे-अच्छे
मिल जाते जब बच्चे-बच्चे।
घर आँगन की रौनक बढ़ती
फिर खेल की चढ़ती मस्ती
गली मोहल्ला शहरों का
या हो गरीबों की बस्ती
बोलें जब तुतलाते बच्चे
कितने लगते अच्छे-अच्छे
मिल जाते जब बच्चे-बच्चे
लड़ाई और समझौते में
ये करते हैं देर नहीं
गर ये जिद पर आ जाए
फिर किसी की खैर नहीं
होते हैं ये उम्र के कच्चे
कितने लगते अच्छे-अच्छे
मिल जाते जब बच्चे-बच्चे।
दुनिया की खुशियों का राज़
होता इन बच्चों के पास
झूठ बोलने की बच्चों को
बात नहीं आती है रास
धूम-धड़ाका करते बच्चे
कितने लगते अच्छे-अच्छे
मिल जाते जब बच्चे-बच्चे।
भोली मछली
नानी मुझको मछली देना,
उसको घर ले जाऊँगी
जलकुंड में छोड़कर खूब
उसको खेल खिलाऊँगी
मछली कितनी भोली-भाली
क्या कहना मछली रानी का
कब सोती कब जाग जाती
उसका घर है पानी का
आशीर्वाद मुझे दो नानी
मेरिट में नंबर आ जाए
उस मछली-सी चंचलता
बस मुझमें भी समा जाए।
मम्मी
महिमा अपरम्पार है मम्मी
दुनिया का सार है मम्मी
धरती पर आकार है मम्मी
दिल का पहला तार है मम्मी।
सबसे निर्मल प्यार है मम्मी
दुनिया का अधार है मम्मी
उसका आँचल गहरी छाया
ममता का अवतार है मम्मी
सबका सुख गुलजार है मम्मी
पुराण और वेद चार है मम्मी
जिसके पास मम्मी अच्छी
सुखी सारा संसार है मम्मी।
दुःख-सुख में नाव है मम्मी
धूप में गहरी छाँव है मम्मी
थकते नहीं चलते ही रहते
हर युग के पाँव है मम्मी
पढ़ाई
देख बैल को बोला गोलू
क्यों चलाता है यह कोल्हू
गोलू का प्रश्न सुनकर
बोले मास्टर जी भोलू!
जो सीढ़ी स्कूल की नहीं चढ़ा
जो मन लगाकर नहीं पढ़ा
तभी चलाना पड़ता कोल्हू
करो पढ़ाई तुम भी गोलू।
चाँद चाहिये तुम्हारी माँग
पढ़ लो अच्छा मेरी माँग
तुम भी चाँद पर पहुँचोगे
जैसे पहुँचा नील आर्मस्ट्रांग।