बाल कविताएँ- करुणा पाण्डेय
खरगोश
नर्म मुलायम बालों वाले,
सुन्दर बड़े हैं खरगोश।
गाज़र खाती सुन्दर आँखें
तन में भरा है इनके जोश।।
पकड़ो इनको, दौड़ लगाते
आँखें नीली शर्मीली।
देखा पूँछ पताका जैसी,
गाजर खाते ये पीली।
मिट्टी के सुन्दर से घर में
देखो दौड़े जायें।
प्यार करे गर कोई इनको
देख मन्द मुस्कायें।।
बड़े खरगोश पापा मम्मी
छोटे वाले बच्चे।
उजली नहीं सिर्फ है काया
मन के भी यह सच्चे।
चिड़िया
देखो इस प्यारी चिड़िया को,
रोज़ गगन में जाती है।
दुनियाभर के सारे सुख-दुख
नभ को जा सुनाती है।।
जंगल-जंगल ये मस्ती लेती
फिर इतना इठलाती है।
चीं चीं शोर मचाती दिन भर
साँझ पड़े घर आती है।।
दुःख के काले बादल आते,
कभी नहीं घबराती है।
मेहनत कर अपने सपनों का,
फिर आकार बनाती है।।
तू तरुवर की सुन्दरता है,
बागों को चहकाती है।
सर्दी गर्मी कुछ भी आये,
हरदम तू मुस्काती है।।
चाहे कितनी बाधा आये,
आगे बढ़ती जाती है।
श्रम को अपना लक्ष्य बनाओ,
यह सन्देश सुनाती है।।