बाल कविताएँ - सरोजनी प्रीतम
मूंछें पोंछ
बिल्ली बिल्ली मूंछें पोंछ
पोंछ पोंछ - हां दूध लगा
सोयेगी तो तेरी मूंछें
कुतर न जाये यह चूहा
यह ले मेेरे घुंघरू ले ले
बांध गले में चूहों के
जब यह मूंछ कुतरने आयें
तब तब यह घुंघरू छनके
बिल्ली सुनकर बातें हंसती,
हंसती हा हा बिल्ली
कहती घुंघरू बांध देखने मैच,
चली मैं तो दिल्ली
चुहिया
चूहा लेकर आया टीवी
बोला चुहिया से यों
घर को लो, मेरी चुहिया
अब पिक्चर हाल बना लो
चूहे की सुन बातें, चुहिया
बोली भौंहे तान
सौ सौ कुर्सी कहां लगायेंगे
बोलो श्रीमान ?
हाथी
जरा बताना दादा हमको
यह छोटी सी बात
बाहर क्यों लटके रहते हैं
हाथी के दो दांत
खाने के दांतों से खाता
खाता है यह कितना
दांत दिखा सबको बतलाता
मैं खा सकता कितना
इतना खाना खाता, कोई
इसे नहीं समझाता
इसीलिए तो खा खाकर
यह हाथी होता जाता
सुनो उंट जी
सुनो उंट जी, कहां पेट में
भर लेते हो पानी
और मजे़ से घूमा करते,
करते हो मनमानी
गर्दन देख तुम्हारी मुझको
ध्यान यही बस आये
तुम्हें हार पहनाने हों तो
कितने हार पहनायें
कहां उंट जी कैसे कोई
स्वागत करे तुम्हारा
देख तुम्हारा कूबड़ हंसता,
हंसता है जग सारा
बिल
संवाद के रूप में दो बच्चे तथा एक अन्य स्वर
होटल जाने से, जाने से
चूहा क्यों घबराता है
कहो कहो क्यों चूहा
होटल जाने से घबराता है
चूहा चुहिया दोनों होटल जाने से
कतराते हैं
सुना उन्होंने वहां प्लेट में
प्लेटों में बिल आते है
बिल में कैसे घुसे सोचकर
चूहा चुहिया घबराते
इसीलिए तो चूहा चुहिया
होटल कभी नहीं जाते
मूंछें
मूंछें होतीं काली-काली,
चल दे ताली ! चल दे ताली !
नाना जी की उंची मूंछें,
उंची कैसे होती पूछें,
पूछें इसमें बाल हैं कितने,
मूंछों के जंजाल हैं कितने ?
रोज इन्हें पानी दे-दे कर,
इन्हें उगाता है क्या माली,
चल दे ताली ! चल दे ताली !
लंबी मूंछें-छोटी मूंछें,
पतली मूंछें-मोटी मूंछें,
पतली होंठों पर ही अटकी,
मोटी मूंछें लटकी-लटकी।
पतली-मोटी मूंछों की भी,
रखवाली करता है माली
चल दे ताली ! चल दे ताली !
कुछ काली है कुछ सफेद क्यों
मूंछों में भी भला भेद क्यों
क्यों सफेद दादा जी की मूंछें
दादा जी से आ चल पूछें
पापा की मूंछें अब तक हां,
अब तक कैसे काली-काली
चल दे ताली ! चल दे ताली !
मेंढक-मेंढकी
भक भक भक जलता चूल्हा
जलता भक भक चूल्हा
मेंढक बोला - अरे मेंढकी
भूंख लगी रोटी ला
कहे मेंढकी मेंढक से यों
कहती अरे तुनक कर
रोटी दाल बनाने वाला
रख लो न इक नौकर
नौकर मिला न कोई
दोनों टर्र टर्र टर्राते
पेट न भरता इन दोनों का
कान रोज तो खाते
कहे कबूतर
कहे कबूतर गुटर गुटर
कहे कबूतर गुटरू गूं
बोल बोल क्यों चुप चुप बैठी
तेरी चिट्ठी ला दूं
चम्पा भोली, चुप से बोली
बोली उससे हंसकर
अरे डाकिया चिट्ठी लाता
लाता रोज यहां पर
अंग्रेजी में चिट्ठी लाता
मैं तो पढ़ न पाती
बता बोल तुझको आती है
अंग्रेजी क्या आती
कहे कबूतर हां हां करता
करता जो मैं गुटर गुटर
अंग्रेजी में ही तो यह
तेरी बातों का उत्तर
लाना घुंघरू
भालू की घरवाली बोली
एक बड़ा सा लंहगा लाना
भालू भालू मेरे भालू
जाना मुझे ब्याह पर जाना
लाना लाना घुंघरू लाना
मैं घुंघरू पहनूंगी
अरे ब्याह है उस भालू का
मैं जाकर नाचूंगी
हंस कर भालू कहे
तुझे घुंघरू तो मैं ला दूंगा
लेकिन भालू करे शिकायत
तो क्या, उसे कहूंगा
तू नाची तो
उसका आंगन टेढ़ा होगा हाय
नाचेएगी वह कहीं मुझे भी
हां न नाच नचाय
पापा
पापा की मोटर टांय टांय फिस्स
पापा जायेंगे कैसे आफिस
कैसे जायेंगे पापा आफिस
पापा की मोटर टांय टांय फिस्स
मेरी मोटर, मेरी मोटर अनमोल
न मांगे, न मांगे यह पेट््रोल
चाबी घुमा दो जरा सी बस
मामा
अक्कड़ बक्कड़ आंका बांका
चंदा गोरा गोरा बांका
मामा क्यों कहते हैं इसको
भइय्या है यह बोलो मां का
मौसी
अक्कड़ बक्कड़ आंसी-आसी
क्यों कहते बिल्ली को मौसी
मौसी यानी मां की बहना
मां की बहना बिल्ली मौसी
नानी
अक्कड़ बक्कड़ टूं टा टानी
कौन कहां है मेरी नानी
अम्मां की जो अम्मां होती
अम्मां की भी अम्मां नानी
चिड़िया
चीं चीं करती चिड़ियां आई
तिनका तिनका चुन चुन लाई
बिछा दिया फिर नरम बिछौना
बोली चुनचुन से, चल सो न
चुनचुन ने देखा बिस्तर
चिड़िया से बोला हंसकर
जरा रेशमी चादर लाओ
नरम नरम सी रूई बिछाओ
इन तिनकों में होगा काॅटा
चूप सो जा चिड़िया ने डांटा
चुप रह चुप चीं चीं न कर
देख नरम तो है बिस्तर
चुनचुन बोला -
चीं चीं करना मुझे सिखाकर
कहती हो फिर चीं चीं न कर ??
कुतर-कुतर
चूहों ने हलवाई की
देखी उंची दुकान
सोचा, चलो कुतर ले आएं
इसके दोनों कान
चुपके चुपके चले वहां जब
देखी खूब मिठाई
कुतर कुतर कर लड्डू खाये
जी भर बर्फी खाई
फिर फिके पकवान उठाकर
भागे सारे ऐसे
कान कुतर हलवाई के
ले जाते हों वे जैसे
खर्र खर्र खर्राटे भरता
रहता, यह हलवाई
उछल कूद करते हैं चूहे,
चूहों की बन आई
बोल-बन्दरिया
बोल बन्दरिया बोल बन्दरिया
नाचेगी तो क्या होगा
नाच देख रीझेगा बन्दर
बन्दर से फिर ब्याह होगा
बन्दर ही बाराती होंगे
बन्दर पंडित आयेगा
दूल्हा बन्दर, बन्दरिया सी
दुल्हन को ले जायेगा
उल्लू कैसा ?
मां मां उल्लू कैसा होता
उल्लू वह - जो दिन में सोता
उल्लू वह जो जगे रात भर
अपना उल्लू बस सीधा कर
औरों को उल्लू कहता है
या उल्लू बन कर रहता है
बड़े-बड़े हैं उल्लू ऐसे
जो लगते है उल्लू जैसे
देख उन्हें तुम चुप चुप रहना
उन्हें कभी मत उल्लू कहना
गधा है
कब से देखो यहां बंधा है
सचमुच यह तो निरा गधा है
गट्ठर कपड़ों का ढोता है
सचमुच गधा गधा होता है
कहती धोबी की घरवाली
गधा भला क्यों बैठे खाली
हम कपड़ों के गट्ठर लाते
बैठ गधे से ही धुलवाते
गधा मगर क्यों काम करेगा
गधा गधा है, गधा रहेगा
गाय-गाये
मास्टरजी गाना गाते थे
हाय हुआ धमाका
गाय भागी-भागी गाय
बछड़ा पीछे भागा
गाने के मास्टर जी ने
देखा यह तो, चिल्लाये
रोको रोको रोको इसको
रोको तो यह गाये
बच्चे बोले हंसकर
मास्टर जी से हंसकर ऐसे
किससे कहते हो यह गाये
यह गा सकती कैसे
पर मास्टर जी गाय गाय
ही चिल्लाते जाते
गाय बछड़ा उनके आगे
आगे भागे जाते
भालू
भालू भालू कहकर
सब खडे़ बजाते ताली
लंहगा चोली पहने आई
भालू की घरवाली
बोली नांचू मैं भी
संग तुम्हारे, तो क्या होगा ?
हंसकर बोले सारे
''बस यह आंगन टेढ़ा होगा''
तितली
फूलों पर झुक झूम झूम कर
फिर झट से उड़ जाती हूं
फूलों के कानों में गुपचुप
बातें करने आती हूं
मैं उड़ती हूं लगता जैसे
उड़ते हों कितने ही फूल
मुझे देखकर काले भंवरे
जाते अपना रस्ता भूल
सुनो रोज मैं इन प्यारे
प्यारे फूलों पर गाउंगी
उड़ उड़कर - इन फूलों को भी
मैं उड़ना सिखलाउंगी
कांय-कांय
कांय कांय.....काले कौऐ ने
खाली मिर्चे हरी हरी
कांय कांय चिल्लाता फिरता
कब्वी पूछे डरी डरी
क्या खाया....क्या खाया बोलो
कौए जी कैसे बतलाएं
यहां-वहां.....बस कांय कांय
का का का चिल्लाये
भौंक-भौंक कर
कुत्ता भौंक रहा है कब से
भौंक भौंक कर हारा
कुत्ते जी यह भाषण कैसे
कोई सुने तुम्हारा
जो आता उस पर गुर्राते
झपट टूट पड़ते हो
भौंक भौंक कर आने वालों का
स्वागत करते हो !
हंसकर स्वागत करते
तो सब पास तुम्हारे रहते
पास बिठाकर सबको
घंटों, भले भोंकते रहते
कुकडूं कूं
कुकडूं कूं बोला मुर्गा,
मुर्गा बोला कुकडूं कूं
देखो देखो तो मुझको
सुबह सवेरे उठता हूं
तुम भी उठ जाओ झटपट
उठो पढ़ो कुछ काम करो
देखो मुर्गे को ऐसे
बच्चो, मत बदनाम करो
मास्टर जी जब बच्चों को
'चल मुर्गा बन' कहते हैं
कुकडूं कूं......सारे हरदम
कुड़ कुड़ करते हैं
पूंछ पटक कर बोला बन्दर
पंूछ पटकर बन्द बोला
उछल कूद सब करते
बिना पूंछ के कितने बन्दर
यहां घूमते फिरते
धमा चैकड़ी करते हैं जो
वे सब के सब बन्दर
पेड़ों पर ही रहें, रहूंगा मैं
अब घर के अन्दर
छीना झपटी करने में भी
तुम सब मुझसे आगे
नकल लगाने में भी आगे
आगे मुझसे भागे
लो यह मेरी पूंछ लगा लो
पूंछ तुम्हें मैं दूंगा
बैठ मेज पर खाना खाउंगा
मैं पढ़ लिख लूंगा
डाली डाली लटक लटक कर
हां मैं बहुत थका हूं
तुम्हें देख लगता मुझको
मैं बन्दर नहीं रहा हूं
खी खी खी तुम सब हंसते
मैं खों खों हंसता हूं
मेरी सूरत देख बताओ
मैं बन्दर लगता हूं
नन्हीं चिड़िया
नन्हीं चिड़िया आ - ना ! आ - ना !
संग मेरे आ - तू भी गा गा ना !
मैं करता जब चीं चीं ची चीं
मुझे डांट देते हैं सारे
तू दिन भर चीं चीं चीं करती
आ आ कर हां - पास हमारे
सब कहते हैं उसको गाना
तुझे बुलाते आ ना, आ ना
नन्हीं चिड़िया प्यारी चिड़िया
चीं चीं करना मुझे सिखा ना !
नानी के घर जाकर कोई
बच्चा भी न शोर मचाता
गुस्सा देख देख नानी का
कोई चूं भी कर न पाता
मजा चखाते सबको नाना
तू कैसे चीं चीं लेती,
नानी के घर, मुझे बताना
गुड़िया के चोर
गुड़िया के घर आये चोर
गुड़िया मचा सकी न शोर
कौए ने पूछा कां कां
तेरे गहने गये कहां ?
कुत्ते ने पूछा भौं भौं
चिड़िया रानी ! तुम चूप क्यों
म्याउं म्याउं कर बिल्ली
चली गई चट से दिल्ली
दिल्ली में जा खाया पान
चोर लिया चट से पहचान
लाई गुड़िया के गहने
हंस हंस गुड़िया ने पहने।
पंख अहा
पंछी जैसे प्यारे प्यारे
होते दो दो पंख हमारे
पंख अहा ! तब उड़ते उपर
आते आसमान को छूकर
झोली में भर लाते तारे
चंदा को लाते धरती पर
और खेलते उससे जी भर
रहता चंदा संग हमारे