मुनिया (कवि-पौत्री समिधा)

मुनिया आई


चहक उठा घर


खुशियाँ लाई


 


गाल तो बड़े


आँख बहुत काली


लाली से जड़े


 


केश तो काले


ज़रा ज़रा बिरले


चमक पाले


 


नानी जी आईं


हाथी, बकरी, घोड़ा


साथ में लाईं


 


नाना जी लाए


लाल लाल अनार


खूब दिखाए


 


मम्मी अघाईं


चमकदार मोती


मुराद पाईं


 


सीटी तो भायी


लाल बहुत गाल


खूब फुलाई


 


दादी बुलाईं


'नरसरी राइम'


उसे सुनाई


 


पापा मनाए


नीले पीले 'बैलुन'


खरीद लाए


 


दादा झुलाए


फटे हुए सुर में


कौवाली गाए


 


वह तो रोए


पूरो घर जगाए


देर से सोए


 


खजाना बड़ा


खुशी बरसी खूब


आँगन पड़ा।                     


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