गोदी में शिशु को लो
जब उदास हो जाए मन
तब गोदी में शिशु को लो
कसकर भींचो उसे वक्ष से
फिर चूमो गालों को
मारो गोली दुनिया को
छोड़ो उसकी चिन्ताएं
जरा ध्यान से देखो
शिशु की सारी गतिविधियों को
नन्हे नन्हे हाथ-पांव की
नन्ही-सी क्रीड़ाएं
जितने भी सुख हैं समेट
उस पर न्यौछावर कर दो
उसके भोलेपन की थिरकन
थिरक जाएगी अन्दर
उसके हंसने मुस्काने को
अपने भीतर घोलो
वह निष्काम सरल-सा चेहरा
ईश्वर भी क्या होगा
वह मंदिर घर में ले आता
उससे खुशियां तोलो
है आनंद अनोखा यह
भोगे जो वह ही जाने
अपना अनुभव तो यह कहता
अपनी तुम खुद जानो