हाइकु-ग़ज़लें
है साजिसों का/हर जगह जाल/मेरे देश में।
जीना हो गया/यहाँ अब मुहाल/मेर देश में।।
कौन दे यहाँ/तमाम ही बातों का/अब जवाब-
हर जगह/सवाल ही सवाल/ मेर देश में।।
घी व दूध की/बहती थी नदियाँ/जहाँ पे कभी-
सुखा कहीं तो/कहीं पे है अकाल/ मेर देश में।
कैसे आयेगी/सद्भावना यहाँ/हम सब में-
सर्वत्र फैला/आतंक व बवाल/मेरे देश में।
कीमत नहीं/श्रम की यहाँ कोई/आज देश में-
पर यहाँ हैं/तस्कर मालो-माल/मेरे देश में।
बनाया जिसे/अपना रहनुमा/दे कर वोट-
कर रहा है/मुझे ही वो हलाल/मेरे देश में।
आश्वासन का/लड्डू खिला-खिला के/भरमा दिये-
इसी प्रकार/बीते कितने साल/मेरे देश में।
देश में लगी/लूट-हत्या की होड़/हर ओर ही-
कैसे-कैसे हैं/भारत माँ के लाल/मेरे देश में।
घना तना है/कुहरा आकाश में/आज कितना-
उगा है 'सूर्य'/हो कर फटेहाल/मेरे देश में।
मौन है देश/अंधेरों के राज में/लूट मची है-
सिसकता है/ 'सूर्य' हो के बेहाल/मेरे देश में।
रोटी के लिये/रोटी की भाँति जली/यह जिंदगी।
बिन नमक/दाल के सम गली/यह जिंदगी।।
झूलसा जब/आकांक्षा की आग में/भ्रमित मन-
कडुआ-घूँट/पीकर के भी पली/यह जिंदगी।
किस-किस को/सुख बाटे सभी हैं/सुख-प्रत्यासी-
लूटा के सुख/दुःख-डगर चली/यह जिंदगी।
सामाजिकता/बिखरी, रो रही है/मानवियता-
टूटा प्रेम का/धागा और फिसली/यह जिंदगी।
रोता ममत्व/अपनत्व भी बिका/चन्द सिक्कों पे-
घुट-घुट के/झूठा रिश्ता निगली/यह जिंदगी।
खून बहाया/मिलकर सगों ने/जब भी मेरा-
अपमानित/घुट-घुट के जली/यह जिंदगी।
ख्वाब अधुरे/साधें हैं सुनी-सुनी/जीवन हारा-
ढलते 'सूर्य'/जैसी अब तो ढली/यह ज़िंदगी।
रोटी के लिये/रोटी के भंति जली/यह जिंदगी।
बिन नमक/दाल के सम गली/यह ज़िंदगी।।