पुष्पा राही

रहन-सहन का अपना ढंग है, तुमको क्या


खान-पान में अपना रंग है, तुमको क्या


 


कहने दो जो कहती दुनिया,


अपने से अपना सत्संग है, तुमको क्या


 


औरों को भी है स्वतंत्रता,


अपने कर अपनी पतंग है, तुमको क्या


 


अपना अपना दृष्टिकोण है,


कहीं निराशा कहीं उमंग है, तुमको क्या


 


रंग बिरंगे खेल खिलाड़ी,


पिछलग्गू कोई दबंग है, तुमको क्या


 


निपटेंगे खुद जिन्हें निपटना,


जो जिससे भी रहता तंग है, तुमको क्या


 


वे लटटू हैं इक दूजे पर,


उनका संग अनूठा संग है, तुमको क्या


 


किस किसके मन में झांकोगे,


अलग-अलग अपनी तरंग है, तुमको क्या



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