फागुन

आया फागुन बस आया फागुन


भूली बातों का दौर लेकर भीगे तन औ मन


रंगों ने भरमाया,आया बस फागुन आया


गोरे-गोरे गाल रह गये दंग,


जब झोंके में पड़ गये प्रेमरंग


थिरकने लगे पाँव भी जब ढप ने छेड़े मन तरंग


न अंखियों ने रचे रास रंग कैसा ये मौसम आया


आया बस फागुन आया


बाहर भी रंग और अंदर भी रंग


कैसे कहूँ सखी मन की उमंग


फाग में मिला देखो पिया जी का संग


रंग भरे शोलों ने जिया धड़काया


उत्सव ये दिलों का क्यों न बार बार आया


आया फागुन, बस फागुन आया


बस फागुन आया



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