‘अभिव्यक्ति’ (मेरी नजर में)
चारों ओर छाए तनाव
हलचल, भागदौड़ के बीच
मन ढूँढता है,
थोड़ा सा आराम,
थोड़ा सा चैन
थोड़ा सा सुकुन
थोसी सी हरियाली
थोड़ी सी खुशहाली,
थोड़ी सी खुशबू
थोड़ा सा अपनापन
अभिव्यक्ति में आकर
यही सब मिलता है,
खुशियों की छांव
आकर दबे पाँव
खुश्बू से सराबोर
कर जाती है कब मानस पटल को
पता ही नहीं चलता,
इसलिए यहाँ आने का मन
बार बार करता है,
मिल बैठ कर चर्चा करते हैं पुस्तकों पर तो भूल जाते हैं सारे गम,
जिन्दगी को खुलकर जीएं किताबों से सीखते हैंा यहाँ आकर हम।