अंतिम दर्शन

वह देखो, एक साधु ने सल्लेखना ले ली है


शीघ्र ही वे मृत्यु को प्राप्त होंगे


चलो-चलो बाकी के काम छोड़ो


उनके दर्शनों को चलते हैं


पुण्य कमा, अपना आगे का पथ प्रशस्त करते हैं


 


वह देखो, बाकी के साधुजन


उनकी मृतप्रायः क्षीण काया को घेरे बैठे हैं


उनके कानों में निरंतर मंत्रोच्चारण किया जा रहा है


गृहस्थों की आवन-जावन, गहमा-गहमी


निरंतर बढ़ रही है


 


वह देखो, लोग विडियो बना रहे हैं


कितनी बड़ी समाज सेवा है न यह


ताकि दूर बैठे लोग भी


उनके दर्शनों का लाभ ले सकें


और तो और समाज के लोगों ने तो


वीडियोग्राफी वाला भी बुलाया है


ताकि उनके इस महाप्रस्थान के एक एक क्षण को


हर ऐंगल से क़ैद किया जा सके


 


मृत्यु को प्राप्त होना हो तो


ढोल पीट पीट कर


शोरोगुल के मध्य


उन्हें कहाँ इतनी चेतना है


कि वे थोड़ी शांति की दरकार रख सकें


रहें होंगे वरिष्ठ आचार्य किसी समय में


आज तो शय्या पर केवल


एक नितांत दुर्बल काया लेटी है


जिसे आसपास के लोग जैसे चाहे


वैसे उठा-बिठा रहे हैं


अरे हाँ, वह देखो


एक व्यक्ति महाराज जी का हाथ पकड़ कर


आशीर्वाद की मुद्रा में उठाने की चेष्टा में है


वह उनकी लुप्त होती चेतना के कानों में कह रहा है


महाराज जी, सभी को आशीर्वाद तो दे दो


आशीर्वाद की क्षुधा लिए


श्रावकगण समक्ष सिर झुकाए बैठे हैं


वह आशीर्वाद जो महाराज जी के देह त्याग के बाद


आजीवन उन पर बना रह सके


 


यह धर्म सर्वोच्च है


वीतरागता का मार्ग दिखाता है


अनुयायियों को मोक्षमार्गी बनाता है


इसके ऊपर कुछ नहीं


 


क्या तुम जानते हो


हम... हम मोक्षमार्गी हैं


हम सर्वोच्च पथगामी हैं


हमारा धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक है


चाहे आध्यात्मिकता के ‘आ’ तक से


हम अनभिज्ञ हैं


एवं ज्ञान हमारे जीवन में केवल रटने तक सीमित है


 


तुम चुप रहो... मिथ्यादृष्टि प्राणी


तुम क्या जानो मोक्ष मार्ग क्या होता है


एवं कौन इस पर चल सकने योग्य है


अभी के लिए तो हमें आचार्य के


अंतिम दर्शन करने दो


आगे का पथ प्रशस्त करने दो



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