नभ की विशालता
अनाम रोशनियों ने खोज
लिए है मेरे सपने और मैं
अपने वजूद की तलाश में
अज्ञात पगबाधाओं के साथ
दिशाओं की खोज में निकल
पड़ा हूँ , मंद गति नित नए मोड़
भूल-भुलैया दूर तक फैली
ख़ामोशी ,बीहड़ बियाबान
जिनका पता नही कहा तक
चलेंगी मेरे साथ .....
पर ये विशाल आकाश
मेरे साथ है रात के
टिमटिमाते सितारे
रोशनी बिखेरता चाँद
मैं पूछता हूँ उनसे पता
वे घूरते है मुझे बिलकुल
ख़ामोश....,
ऊँचे दरख़्तों के पत्ते हवाओं में
लहराते कि मुझे पास बुलाते
है बतियाना चाहते
दिशा के अभाव में
भटकने की सम्भावनाएँ है
सरसराती लहरें खींचती है
अपनी ओर ...,
मैं सहजता से टकटकी लगाए
देखता हूँ सुदूर आकाश को
पहुँचता हूँ उसकी गहराई में
जहाँ छिपी है भयंकर गूंज
के कोलाहल घबराहट
और भय के भँवर मैं तैरता
पल, गोल घूमता सन्नाटा
देख मै थक इन्तजार करता हूँ
कि कब कोई रहस्यमयी
दरवाजा खुले कि मैं
अंतर्मन में झाँकूँ
अंतरंग धड़कनों को
सुनने की कोशिश करूँ
पलकें मुंद लेता हूँ कुछ क्षण
छंटता है आवरण
अचेत चेतना मुझे चेताती है
मैं खड़ा हो दिशाओं को परखता हूँ
विश्वास की कोपलें
ओलौकिक शक्ति से राह
दिखती है और मैं चला जा रहा हूँ
ब्रह्मांड की दिव्यता असीमता
अनंत गहराई में उतर नए पथ
की रचना करने की उम्मीद में
बस यही सोच की एक
यात्रा करूँ क्षितिज पार की
असीम शांति की...!!!