कविता
निशा नंदिनी भारतीय, तिनसुकिया, असम , Mob. 9954367780
नवयुग चेतना आ गई
सर सरोवर सब भर गये
सर्वत्र सरोज खिल गये,
चहूँ ओर छवि छा गई
नवयुग चेतना आ गई।
अद्भुत अभिन्न रूप सा
पंक पंकज मिल गया,
निर्मल नीर सम नीरज
नयन ज्योति बन गया।
सिक्ता से मोती निकाल
अशुद्ध अश्रु पी गया,
नव गति नव तल से
नव-नव संकेत दे गया।
पंक हीन पंखुड़ियों से
ज्ञान चक्षु खोल गया,
तोल मोल के कहने का
दिव्य संदेश दे गया।
राष्ट्रीय पुष्प कमल की
नींव निःसंदेह निराली है,
ऊर्जा भरता जन मन में
हर बगिया का माली है।