मैं हूँ कौन
मैं कहाँ से आई, मैं हूँ कौन
कोई नहीं बताता, हैं सब के सब मौन
पिछला सब बिसर गया आने वाला बिखर गया
क्या करूँ, क्या होगा, इस सब का फिकर गया
खड़ी हूँ आज मैं सिर्फ़ प्रश्नचिन्ह बन के
कभी छोटा, तो कभी बड़ा प्रतिबिम्ब बन के
मेरा साथ कब तक निभाएगा, ये अकेलापन
कब मुझे भी आएगा, जीने का कोई नया फ़न
आज सब शान्त हैं, कि नहीं कोई चाहत
जब दर्द ही नहीं तो मिलेगी क्या राहत।।
बिट्टु संधू
मो. 9876333303