पक्षी
बीत गए कई सारे वर्ष जवान से बूढ़े हो गए
वे साल जो सबसे अच्छे
सबसे स्पप्निल सबसे अनमोल थे
नहीं जिएं ढंग से
जी ही नहीं पाए
यूं लगा जैसे
स्टेशन पर कहीं से आए
और कहीं जाने की प्रतीक्षा करते रह गए
घर वह है जहाँ से हम रवाना होते हैं
कहा है इलियट ने
यकीनन क्या यही सच है
यदि घर वहीे होता तो रवाना ही क्यों होते
पक्षी की तरह उड़ते दाना-पानी को
लौट कर फिर न आ जाते वहीं
पता नहीं....
पक्षी होना हर किसी की किस्मत में
कहाँ होता होगा
हाँ गरुड़ हो सकते हैं
जो उड़ता है तो उड़ता ही चलता जाता है
थकता तो जरूर होगा
पेड़ कहां होते हैं आकाश में
जिनकी शाख पर बैठ कर
सुस्ता सकें कुछ पल
उड़ता चला जाता है लगातार
पंखों में नहीं बचती ताकत उड़ने की
हो जाता है पस्त अवश
तो गिर पड़ता है
गिरने के बाद क्या बचता है
विलीन हो जाता है शून्य में