परिवार कल्याण बनाम भू्रण हत्या

नीला जैन इन दिनों काफी फार्म में नज़र आती थीं। परिवार कल्याण से जुड़े एक अखिल भारतीय स्वैच्छिक संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चुनी जो गई थी। यह कई वर्षों की समाज सेवा का प्रतिफल था। नीला ने अपनी सहेलियों के लिए एक पार्टी देने का विचार अपने पति यश को बताया। सफलता के लिए शानदार पार्टी तो बनती है ‘यश ने खुश होकर कहा’ तभी उनके विश्वस्त नौकर सोनू ने कहा कि ‘मैडम’ मैं कल परसों की छुट्टी पर रहूंगा।’


‘क्यों क्या हुआ, सब खैरियत तो है?’ नीला ने पूछा सोनू ने जबाब दिया कि ‘मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं है, उसे डाॅक्टर को दिखाना है’ जानकारी देने के बाद वह सब्जी का झोला थामे सब्जी मार्केट चला गया।


उसके जाने के बाद नीला बोली की जानते हो इसकी पत्नी पेट से है और दो लड़कियाँ पहले है। अगर इस बार भी लड़की का भ्रूण होगा तो बच्चा गिरा देंगे। ऐसा सोनू बता रहा था। नीला आगे इस तरह बता रही थी कि मानो बेटियों का भ्रूण बचाने में..... ऐसी शुभचिंतक मानों समाज सेवा का कोई सम्मान उसे ही मिलेगा।


कहने लगी हम लोग उस क्लिनिक के खिलाफ रिपोर्ट कर दंे। क्योंकि तुम भी मेरे साथ हो। यश ने कहा ज़रूर। नीला बोली मैंने कई बार दबाव डाला-लेकिन सोनू ने ना तो डाॅक्टर का नाम बताया है, और ना ही क्लिनिक का।


मैंने तो धमकाया भी था कि यह अपराध है.... इससे तुम्हारी पत्नी की जान को खतरा भी हो सकता है, पर वह टस से मस होता नहंी दिखाई देता।


थोड़ी देर में सोनू सब्जी लेकर आ गया। नीला भी कम नहीं थी। सोनू को भाषण देने लगी कि अपने मन के ख्याल  को छोड़ दो।


‘‘तो क्या करें मैडम! डेली बेजेस की नौकरी में तीसरी लड़की पालने की हिम्मत नहीं है मुझमें। हम लड़के की चाह करें तो प्रश्न खड़े होते है कि किस जायदाद के लिए वारिस चाहिए। हमें बच्चा गिराने पर अपराधी मान लिया जाता है और हाई सोसायटी वाले उसे फैमेली प्लानिंग कह देते हैं। मुझे तो डाॅक्टर रस्तोगी ने कल यह भी कहा कि तुम जहां काम करते हो वहाँ नीला मैडम ने भी कन्या भ्रूण का एबार्सन पिछले वर्ष करवाया था।’’ सोने अपनी रौ में न जाने क्या-क्या कह रहा था। पहली बार उसने ऊँची आवाज में मुझसे बात की थी।


मेरे कानों में उसके शब्द शीशा घोल रहे थे। मैंने कहा सोनू! कल से नहीं अभी से छुट्टी ले लो। मैं यश के आॅफिस से मैनेज कर लूंगी। नीला कड़वे घंूट पीकर पार्टी में निमन्त्रितों की सूची बनाने लगी...।



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