कविता

रंगरेजा



तू रंग मेरी रूह को
कुछ इस तरह,
अपने ही रंग में ऐ रंगरेजा ....
तेरे हर रंग-सी रंगी रहूँ
तेरे हर रंग-सी देखूं मैं
तू रंगे जिस रंग मुझको
उस रंग में डूबे हर एक तागे में
रंग रंग-सी बसूं मैं..
मेरे रंगरेज
आ रंग मेरी रूह को
बस हो जिसमें
तेरे इश्क का वो रंग बसा...
छोड़ू जब-जब यह चोला
दिखें तू और मैं
रंगे एक ही रंग में,
एक दूजे का थाम
यह साथ हमेशा...
जाने कितने ही सफर
युगों तक तय करें हम
बदल-बदल कर यह चोला...
तू रंग मेरी रूह को
अपने ही रंग से
ऐ मेरे रंगरेजा...


 



जोधपुर, मो. 9460248348


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