माँ-बाप

  माला वर्मा, कलकत्ता, मो. 9874115883, 9007744346


बूढ़े माँ-बाप भूकंप के वक्त ऊँची-ऊँची इमारतों व घरों में छूट गये और जवान पीढ़ी धड़ाधड़ बाहर निकल आयी। अब उन बूढ़ों को संभाला जाये या अपनी जान, अपना ‘परिवार’ देखा जाये? हाँ, उस वक्त सोचने, निर्णय लेने का जज़्बा कहाँ था! मज़बूत पैरों ने राह बनायी और अशक्त शरीर घर में छूट गये।


तूफान थमा, धरती शांत हुई। धीरे-धीरे बच्चों ने घर में प्रवेश किया तो देखा उनके माँ-बाप ईश्वर की तस्वीर के सामने हाथ जोड़े प्रार्थना कर रहे थे, ‘‘हमें उठा लो प्रभु, पर हमारे बच्चों को सही सलामत रखना....’’


 


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