समीक्षा


समी.: रानू मुखर्जी, वड़ोदरा, मो. 9825788781


चैट उपन्यास ‘‘यू एंड मी... द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव’’ सपनों की यथार्थवादी व्याकुलता


मुग्धावस्था का प्रेम पत्थर पर कुरेदकर लिखने जैसा होता है। हवाई महल बनते हैं। हवाई घोडे पर सवार होते हैं, पर अहसास शाश्वत होता है। निखालस, पवित्र, एक ईश्वरीय देन। शायद ये उन्हीं को नसीब होता है जिनकी आत्मा पवित्र होती है। मल्लिका मुखर्जी (नन्ही परी) उनके मुग्धावस्था का प्रेमी अश्विन मॅकवान (ऐश), ऐसे ही कहे अनकहे आत्मीय प्रेम के उतार चढाव पर, 13500 कि.मी. दूरी तय करने में इकतालीस साल लग गए! दोनो विवाहित, संसारी, पर नायिका का पहला प्रेम अपनी जगह पर स्थिर।
चैट उपन्यास के रूमानियत अंदाज को लेखक ने अपने उपन्यास का आधार बनाया है। भाषा की सरलता, रवानगी और साधारण नौजवान हौसला- सब को उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति का औजार बनाया। उनके उपन्यास में भारतीय जीवन दर्शन, परिवर्तन की अहंकार विहीन आस्था, सामाजिक जीवन, जीवन के संकल्प, मानवीय पीड़ा और भविष्य की दृष्टि हर कहीं तरंगायित है। उपन्यास के तथ्य उनके अंतर की कथा को, जागरण की आस्था को और प्रेम की भाव धारा को समेटे हुए है। वास्तविकता का सुन्दर चित्र। 
अनुभवजन्य भावों को ही इतनी सार्थकता के साथ चित्रित किया जा सकता है! मन मंथन, आत्म मंथन और छटपटाहट को समझने वाला साथी और एक सफल चैट उपन्यास। इस चैट उपन्यास का स्वर न केवल अतीत की शक्तिमय चेतना की स्वरलिपि है, बल्कि अपने समय में संघर्षो और आहत सपनांे की मर्म भेदी पुकार भी है। अपने प्रेमी की अस्वस्थता के बारे में जानकर मल्लिका कातर हो उठती है। सुदूर विदेश में स्थित उनके कोलोन कैन्सर दर्द को अपने आँसुओं की अंजली देकर कम करना चाहती है। यह उसकी संवेदनशील मानसिकता का प्रमाण है। मल्लिका की कलम से भारतीय आत्मा का पुनराविष्कार हुआ है। अध्यात्मिकता उनकी सबसे बडी ताकत है, जो परंपरा के आवरण को चीरकर जागृत प्रेरणा बन जाती है। 
बरसों से अपने अनकहे , दबे प्रेम को न भूलकर , वर्षों बाद फेसबुक के माध्यम से प्रथम प्रेम को ढूंढ कर अपने प्रेमी को अपने प्रेम से अवगत करने का अद्भुत साहस दिखाया है। यह संभव इसलिए हो सका क्योंकि मल्लिका का प्रेम ईश्वरीय वरदान से भूषित है। आन्तरिक प्रेम, पवित्र मानसिकता का उदात्त विस्तार! जीवन की निरंतरता में सुख-दुःख आँखमिचैली करते रहे। कही कुछ निश्चित नहीं है, बंधा हुआ नहीं है। भाग्य का रहस्यमय चक्र चलता रहता है।
इस उपन्यास के नायक पार्थो मुखर्जी हैं। अगर पार्थो मल्लिका के जीवन में नहीं आते तो शायद ही यह उपन्यास लिखा जाता। पार्थो मल्लिका की शक्ति बनकर आए। आन्तरिक शक्ति, साहस, उत्साह, एक अविचल हिमालय! अपने पूर्ण मानवीय तेजस्विता के साथ और तभी ‘‘यू एंड मी... द अल्टिमेट ड्रीम ओफ लव’’ का जन्म हुआ। और अधिक नहीं, यह उपन्यास झकझोर कर रख देता है। 
मल्लिका मुखर्जी, अश्विन मॅकवान,  एक अनमोल तोहफा दिया है हिन्दी साहित्य को आपने। आपसे अभी और अनेक अपेक्षाएँ हैं।  



लेखक: मल्लिका मुखर्जी, अहमदाबाद, मो. 9712921614


 



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