"यू एंड मी...द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव" पर मीनाक्षी मैनन की प्रतिक्रिया


अश्विन मॅकवान    



मल्लिका मुखर्जी, Mob. 9712921614


 


प्रिय मल्लिका मैम,


सुदर्शन प्रियदर्शिनी के उपन्यास "पारो-एक उत्तर कथा" पर "अभिनव इमरोज" में छपा अपना अवलोकन पढ़ते हुए मैं कहाँ जानती थी कि अहमदाबाद में एक जोड़ी आँखे भी मेरा ‘पारो...’ का अवलोकन पढ़ रही थीं और एक रिश्ता बना जा रहा था "पारो- एक उत्तर कथा" और "यू एंड मी...द  अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव" में! 


फोन पर आपकी आवाज सुनी, आपसे बातें करते हुए लगा ही नहीं कि आपसे पहली बार बात हो रही है। आपने कहा कि मैं आपके, अश्विन मॅकवान के साथ मिलकर लिखे  नॉवल की समीक्षा लिखूं, बड़ा असमंजस का पल था। सीरियसली, आई नेवर थॉट मायसेल्फ टू बी अ  कैंडीडेट फॉर सच अ कॉल! लेकिन हाँ, "पारो- एक उत्तर कथा" किताब में कुछ जादू जरूर था, जिसके प्रभाव में मैंने अपने मन के भाव लिखें। वो आपको पसंद आए, मेरी खुशकिस्मती है। कुदरत का करिश्मा देखिए, ‘पारो...’ पढ़ते हुए, उसके बारे में लिखते हुए मैंने कभी न सोचा था कि सचमुच कहीं एक पारो बैठी हैं, इकतालीस  सालों से इंतज़ार, प्यार और विश्वास का दिया जलाएं और उसका देव, अश्विन सात समंदर पार, बिना जाने इंतज़ार में है, एक दस्तक की! आप ने दस्तक दी, वर्चुअल वर्ल्ड कहलाए जाने वाली दुनिया के दरवाजे पर और बदले में पाई खालिस सोने जैसे रिश्ते की दौलत, अश्विन सर के उस दस्तक का जवाब देते ही!


यकीन जानिए आपकी इस बेमिसाल मोहब्बत की दास्तां पर विश्वास करने में एक पल भी नहीं लगा मुझे, लेकिन आपको प्यार करने में वक्त जरूर लगा क्योंकि पहले पहल तो जलन ही होती रही आपसे। एक मीठी सी जलन--सच्ची!! कितने खुश किस्मत हो आप। We all have stories but who is lucky enough like you to live them and to put them in black and white!


आप दोनों ने सच्चे दिल से  लिखी इस नॉवेल  की समीक्षा तो नहीं कर सकती मैं हाँ,  आप की कहानी, आपकी मोहब्बत, आप की इबादत, आपकी दीवानगी जीना चाहूँगी आपके साथ। आपको पता है? यह कहानी जीकर आपने  दुनिया भर के उन सच्चे प्रेमियों को प्रेम के इल्जाम से बरी कर दिया। उन मुकदमों से जो चलते रहते हैं दिल, दिमाग और समाज की सोच की उन अदालतों में, जहाँ प्रेम गुनाह माना जाता है। अलग-अलग राहों पर दो लोग एक साथ चल सकते हैं, बाकमाल है ये! इकतालीस  साल के लंबे अंतराल के बाद और वह भी कहीं कोई डिस्टर्बन्स क्रिएट किए बिना, प्रेम में पडते हैं, एक दूसरे की कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनते हैं और लौटाते हैं, एक दूसरे को वो मुस्कुराहटें, वो पल, वो साल, वो दिन- महीने जो अचानक से समय की किसी गलत करवट के कारण मिस प्लेस हो गए थे।


बालू की तरह समय बंद मुट्ठी से सरकता है- सुना था मैंने। लेकिन ये बालू के कण, जन्म लेते हैं एक अंतराल के बाद खूबसूरत तराशे हुए कीमती मोतियों की शक्ल में, मैं न जानती थी। यह मोती तभी संभव हो सके कि आपकी यादों की सीप में वह हाथों से छुट्टी बालू पड़ी रही,  प्रेम सागर में हिलोरे लेती,  इंतजार करती रही सही पल का। और मेरी प्यारी दोस्त, साबित कर दिया तेरी मोहब्बत ने कि पाक मोहब्बत का एक लम्हा, सोलह  बरस की बाली उम्र की एक मासूम सी चाहत, भारी पड़ सकती है इकतालीस  सालों पर! 


अश्विन जी, आपने नॉवल में लिखा है कि मैं लेखक नहीं हूँ लेकिन यह खत लिखते हुए मैं सोच रही हूँ कि आपको इस नॉवेल का लेखक कैसे न कहूँ! अगर मल्लिका के मन के अरमान स्याही है तो आप वह कागज हो, जिनके बिना इस स्याही का रंग कभी दुनिया की नजर में न आ पाता। मल्लिका ने दस्तक देने की हिम्मत की लेकिन आज के जमाने में, विदेश में बसे, चकाचौंध में रमे किसी अश्विन में कृष्ण की सार्थकता हो सकती है, अकल्पनीय है!  


पार्थो सर में मुझे दिखाई दिया वह दोस्त जो हर पत्नी के तसव्वुर में रहता है, जिसके सामने वह अपनी रूह उधेड़ के रख सके। अश्विन सर, एक कलाकार, कितने उलझे हुए रास्तों पर बिना शिकायत चलता रहा। संगीत को विदेश में जिंदगी के संघर्ष के स्वर में खोकर, अपनी आवाज़ को ख़ामोश करता चला गया। हारमोनियम पर चलने वाली उंगलियों को तंदूर में झोंककर, स्मृति मैम के प्यार और बलिदान के आगे नतमस्तक वो शख़्स, इनाम का हकदार तो था मल्लिका के कॉलेज में एक उत्सव  के दिन, बरसात में जिन हाथों में अबीर लिए वह आप तक पहुँचा था, आज उस वक़्त की गर्दिश की भट्टी में तपे हाथों पर आप अपने स्नेहिल स्पर्श का मरहम लगातीं।


क्या खूब मरहम लगाया आपने, उस चुप शख्स को अपना मन कहना सिखाया, बहना सिखाया, उसके गुनगुनाते अतीत से मिलवाया, वर्तमान को संवारा और भविष्य को एक राधा से मुलाकात की उम्मीद के सिरे से बांध दिया!


आपके प्यार को, जज्बे को, इस सुरीली चैट को जिसमें रूमानियत के साथ साथ जीवन के कई पहलुओं पर चर्चा हुई। घड़ी की टिक टिक में बंधे बच्चे, काम पर जाने वाले मजबूर दिलों में चुप्पियाँ पसरती देखीं, विदेश की चकाचौंध में दीवाने हुए लोगों की जमीनी मुश्किलें देखीं। और यह भी जाना कि पार्थो सर और स्मृति मैम को मिलाकर आप चार जन एक अनूठी मिसाल हो- प्रेम, दोस्ती और अपनेपन की। आपका नॉवल  पढ़ना जैसे एक जिंदगी जीना था, आपकी सादगी भरी, चुलबुली-सी ईमानदार मोहब्बत के साथ।


‘यू एंड मी...द अल्टिमेट ड्रीम ऑफ लव’ की सफलता की कामना करते हुए... 


आप सबके लिए ढेर सारे प्यार के साथ।


 



मीनाक्षी मैनन, होशियारपुर, पंजाब 


(+91 94174 77999)


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