कविता क्या होती है?
प्रो. डा. जगमोहन चोपड़ा, पंचकूला, मो. 9815838604
कविता
न कपड़ा होती है
न दूध, न रोटी
मकान भी तो नहीं होती कविता
कविता एक रिश्ता होती है
इन्सानियत का
दर्द का
दुःख का
मानवीय पीड़ा का
कविता मरहम भी होती है
इन्सानियत की
रिश्तों की दहलीज पर
कभी-कभी धीरे-धीरे
मुस्काती हुई
सहजता से
दहलीज़ पार भी
कर जाया करती है कविता
रिश्तों की गठरी में
रिश्तों को सहेजती हुई
खुश्बू बखेरती हुई
कविता माँ जैसी होती है।