सम्पादकीय


देवेंद्र कुमार बहल, बसंतकुंज, नई दिल्ली 110070


मो. +91 9910497972


 


करो ना


यह करो


यह करो ना


क्या करें और क्या करो ना


अंतराष्ट्रीय अत्यांतक, महामारी घोषित, तालाबंदी


सब कुछ


जहाँ का तहाँ


निश्चल।


अब यह कैसे होगा ? कब होगा?


इन प्रश्नों को तो मैं झेल पा रहा था, लेकिन 'पूर्ण विराम' से डर लग रहा था- अभिनव इमरोज़ और साहित्य नंदिनी का प्रकाशन रूक जाना और आगे के लिए परेशानियों के बारे में सोच-सोच कर एक बड़े सदमे का आभास होने लग जाता था।


यकीन मानिए- मैंने 'अभिनव इमरोज' को दो बेटे और 'साहित्य नंदिनी' को एक बेटी मानकर परवरिश की है। और इसी विरासत और सम्पादकीय रिवायत को मैं अपने पीछे छोड़ कर जाना चाहता हूँ। इसी भावुकता की प्रेरणा से मैंने दोनों मासिक पत्रिकाओं को आनलाइन प्रकाशन की श्रेणी में डाल दिया है। हमारे लिए यह प्रयोग हालांकि नया नहीं है फिर भी कुछ त्रुटियाँ पकड़ में आ सकती हैं जिसके लिए अग्रिम क्षमा याचना चाहता हूँ।


आइए, एक नए प्रयोग के साथ मई अंक से नए सफर की शुरुआत करते हैं।



सहयोग राशि की दरों के लिए विशेष स्लाॅट् नहीं होता। यह आप की हमारे प्रति आत्मियता एवं हमारी पत्रिका के प्रति लगाव पर निर्भर करता है, स्वेच्छा से किया गया सहयोग स्वर्ण मुद्राओं तुल्य होता है।


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