छुट-पुट अफसाने....एपिसोड 2


विणा विज, जलंधर, मो. 9464334114


अतीत से मुठभेड़ किए बिना, उन लम्हों की तलाश कहां हो सकती है - जो लम्हे ढेर सारे अफसानों की जागीर छिपाए हुए हैं। आज जानें....

बीसवीं सदी के शुरुआती दिनों की बातें हैं। जिला झेलम, तहसील चकवाल के शहर "करियाला" में भगतराम जौली थानेदार थे। गबरू जवान ऊपर से बड़ी पोस्ट, बीवी की मौत हो गई थी बुखार से। फिर भी चकवाल के डिप्टी कमिश्नर रायबहादुर रामलाल जौहर ने अपनी इकलौती औलाद "विद्या" का विवाह भगतराम से कर दिया। एक शर्त रखकर, कि विद्या की दूसरी औलाद हमें देनी होगी। विद्या के पहला बेटा हुआ रोशन, दूसरा भी बेटा हुआ इन्द्रसेन। वायदे के मुताबिक उन्हें अपने जिगर का टुकड़ा उसके नाना-नानी को देना पड़ा। रायबहादुर ने कहा कि यह बात राज़ रखनी होगी, इसलिए इससे आप लोग मिलें नहीं। यही बड़े होकर बॉलीवुड के अभिनेता, लेखक, डायरेक्ट और प्रोड्यूसर आई. एस जौहर कहलाए। (विद्या ने बेटे के ग़म को दिल से लगा लिया और बाइस वर्ष की आयु में चल बसीं।
छोटे से बच्चे रोशन की देखभाल मुश्किल हो गई थी।उनके लिए फिर रिश्ता आया। अब गुजरात गुजरांवाला से बेहद खूबसूरत लड़की " रामलुभाई " का।
पाबो,
पाबो की दो बेटियां शादी के बाद जल्दी ही मर गईं थीं, तो उसने बिरादरी में कह रखा था कि वो कुंवारे लड़के से अगली बेटी नहीं ब्याहेगी। बेटियों की खूबसूरती के कारण उन्हें नज़र लग जाती है। इससे नज़र नहीं लगेगी और वो ज़िन्दा तो रहेगी। भगतराम के घर दूसरी बीवी के न रहने पर, पाबो ने रिश्ता मांग लिया। जब डोली विदा होने लगी तो भगतराम के कानों ने सुना कि कोई औरत बोल रही थी,"हाय ! बेचारे की किस्मत फूटी है जो तीसरी शादी कर रहा है। और "कानी लड़की" ब्याह के ले जा रहा है। यह सुनकर वे बेहद परेशान हुए।
रास्ते में उन्होंने दुल्हन से पूछा कि क्या तुम्हारी आंखों में कोई तकलीफ़ है? तो दोहरे दुपट्टे के घूंघट के भीतर से वो बोली, " खेलते हुए मेरे भाई की गिल्ली मेरी आंख में लग गई थी तो आंख बह गई थी।" यह सुनते ही उन्होंने गुस्से से उसका घूंघट पलट दिया। और घूंघट पलटते ही कुछ पल वो ठगे से खड़े रह गए। उनके सामने चौदहवीं का चांद ज़मीं पर उतर आया था।
यह मजाक सहेलियों ने रामलुभाई के साथ मिलकर उनके साथ किया था। अगले साल ही रामलुभाई के बेटा हुआ।"धर्मवीर ", फिर मदन और अन्त में एक बेटी " कमला"। उनके खानदान में छै: पीढ़ियों से कोई बेटी नहीं हुई थी, सो भगतराम के खुशी के मारे पांव ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे। यही थी हमारी जन्म दात्री,मेरी मां " कमला रानी "। धर्मवीर और बॉलीवुड के संगीतकार मदनमोहन जिगरी दोस्त थे। ( ‌‌लेकिन धर्मवीर की मौत हो गई थी, छोटी उम्र में ही) और उनकी बहन "शान्ति महेन्द्रू" (एक्टर अंजु महेन्द्रू की मां )। मेरी मम्मी की पक्की सहेली थीं। वो परिवार भी वहीं से है। दोनों परिवारों में बहुत घनिष्ठता थी। बाद में बम्बई में मिलना हुआ था, कई वर्षों बाद।
‌‌आज, बस यहीं तक.....
बाकि, फिर






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