जैसे ज़रूरी है

सुधीर सक्सेना, भोपाल, म.प्र.


जैसे
स्वाद के लिये
जरूरी है नमक,
मिठास के लिये शकरा
और रक्त के लिये लौहतत्व


जैसे बाँसुरी के लिये जरूरी है बाँस,
जैसे अंकुर के लिये जरूरी है बीज,
और उड़ान के लिये जरूरी है पंख,
और संतान के लिये जरूरी है गर्भाधान,


जैसे जरूरी है वर्ण क्रम के लिये रंग,
स्फुरदीप्ति के लिये जरूरी है फास्फोरस,
और जीवाश्म के लिये जरूरी है जीव


वैसे ही,
आदमी होने के लिये जरूरी है
कपाल में थोड़ा सा क्रोध,
दिल में थोड़ा सा प्यार
थोड़ी सी नफरत दिमाग में
और आँखों में
थोड़ी सी शर्म


साभार



Popular posts from this blog

अभिशप्त कहानी

हिन्दी का वैश्विक महत्व

भारतीय साहित्य में अन्तर्निहित जीवन-मूल्य