उड़ो
सुधीर सक्सेना, भोपाल, म. प्र.
उड़ो आसमान में
जैसे उड़ती है पतंग,
चढ़ो हवा के हिंडोले पर पतंग की तरह
लड़ो, जैसे लड़ते हैं पेंच
लड़ो, और जुड़े रहो जमीन से
जैसे डोर से जुड़ी रहती है चर्खी से पतंग
पतंग बन उड़ो
ताकि कटो भी तो
गिरो कहीं पेड़ पर
लड़कों के बेताब झुण्ड में
अथवा किसी मुण्डेर पर
फिर उड़ने के वास्ते।
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