अभिनव इमरोज़ आवरण पृष्ठ 3
अटल जी की दूसरी पुण्यतिथि पर 16 अगस्त 2018.......
मैं भी अटल हूँ...
ऐ मौत तू अटल! तो मैं भी अटल हूँ।
लौट जा मेरे दर से हरगिज़ नहीं जाऊँगा आज।
लहराता हुआ माँ का आँचल कैसे झुकाऊँगा।
नहीं याचना जीवन की, यह माँ का मान है।
लहराते आँचल में जाऊँ यह माँ की शान है।
वादा किया है भारत माँ से- ‘‘लौटकर फिर आऊँगा’’।
ऐ मौत! तेरा एक दिन का कर्ज़, पुनर्जन्म में चुकाऊँगा।
भारत माँ का मान रह गया, इतना ही काफी है।
रक्षा बंधन के लिए बहनों से माफ़ी है।
अटल जी की विदाई
वह देखो! तिरंगे में लिपट मेरा वीर जा रहा है।
कलेजा फट रहा भारत माँ का ‘‘मेरा लाल जा रहा है।’’
गंगा जल, यमुना जल आँसू बन बह रहा है।
भारत माँ की शोकाकुल आह से हिमालय पिघल रहा है।
वह देखो तिरंगे में लिपट मेरा वीर जा रहा है।
अंगारों की सेज पर वह चिरनिद्रा में सोएगा।
विदाई पर उस ‘ओजस्वी’ की भारत क्या पूरा विश्व रोएगा।
द्वार खुल गए हैं स्वर्ग के स्वागत की भव्य तैयारी है।
भारत माँ के उस लाल की छवि दुनिया से न्यारी है।
सत्यनिष्ठ, कर्मनिष्ठ देश का सपूत ‘अटल बिहारी’’ है।
आज बड़ी रौनक होगी, भगवान के दरबार में।
पहुँच गया एक ‘अटल’ फ़रिश्ता धरती से आसमान में।
आँचल पसारे भारत माँ खड़ी है इंतज़ार में
‘लौट कर आऊँगा’ वादा किया है, मेरे नौनिहाल ने।
अटल जी की अंतर्रात्मा की आवज़
क्यों करते हो शोक व्यर्थ तुम, मैं क्या लेकर आया हूँ।
अपने सपनों का भारत, मैं तुम्हें सौंप कर आया हूँ।
जो सपने कुछ रहे अधूरे, उनको अब तुम पूर्ण करो।
भारत के बच्चे-बच्चे में, देश प्रेम के बीज भरो।
देश प्रेम की चिंगारी को कभी न बुझने देना तुम।
भारत माँ की रक्षा की ख़ातिर। हिमगिरि जैसे अड़ जाना तुम।
संविधान की परिभाषा को मलिन नहीं होने देना।
कोई भी सरकार रहे अन्याय किसी का मत सहना।
देशद्रोही और गद्दारों को सफल न होने देना तुम।
आस्तीन के इन साँपों को कभी न पलने देना तुम।
मेरी कामना भारत की क्यारी का हर कोना लहराएगा।
एक पुष्प भी मुरझाया तो कष्ट मेरा मन पाएगा।
रहो विपक्षी सदा भले ही, राष्ट्रभक्ति से जुड़े रहो।
मसला दुश्मन का आए तो एक सूत्र में बंधे रहो।
मेरे भारत के सपनों को तुमको सफल बनाना है।
दुनिया के हर कोने में भारत की जय का बिगुल बजाना है।
गायत्री गौड़, नई दिल्ली, मो. 9810179659