अंर्तराष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन




अंर्तराष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन का आन लाइन आयोजन 18 जुलाई 2020 को किया।प्रकाशन हेतु रिपोर्ट प्रस्तुत



















आज के इस कठिन दौर में, जहां एक और कोरोना जैसी महामारी का आतंक दूसरी और उससे निपटने को घर से ही सारे व्यवहार कामकाज, वैसी स्थिति में समाज को एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने हेतु, इस अवसर को सुअवसर बनाने वडोदरा की साहित्य प्रवाह संस्था ने एक ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन का किया आयोजन किया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से कवयित्रियों आमंत्रित की गई  थीं। उसके साथ ही अमेरिका, यू .के. जैसे देशों की कवयित्रियां भी शामिल थीं। आइए उसकी एक झलक साहित्य प्रवाह की अध्यक्षा डॉ. नलिनी पुरोहित की कलम से पढ़ें। कार्यक्रम का शुभारंभ हेमा राठोर (झारखंड) के सरस्वती वंदन से हुआ ।

 

प्रतिभा पुरोहित (अहमदाबाद) अध्यक्षता ने की तथा कविता का पाठ भी किया

 


धूप एक लड़की है लू से कांपती हुई बादल से झांकती हुई ।

 

नीता शर्मा (बरेली) ने यामिनी की प्रभात बेला में कविता पाठ किया।


मधु प्रसाद ( अहमदाबाद )
द्वीप घर दो द्वारे पर, मन में फैला रहे उजाला, ऐसा गीत सुनाओ प्रियतम रोम-रोम होवे मधुशाला।


नलिनी रावल (वडोदरा) होती चाह मुझ में बहूं  बर्फीले पहाड़ों से ,फैलूं मैदानों तक ।


पेरिन सोमानी  (लंदन ) हमारा जन्म हुआ तो ऐसा प्यारे फूलों के हार के जैसा


डॉ.बीना बुदकी (जम्मू कश्मीर) हमारा भी घर बार था, जॉइंट परिवार था, अपना जीवन था बड़े खुशनसीब थे।


रचना श्रीवास्तव (कैलिफ़ोर्निया) रिश्तो की सिल्वटों को खोल, धूप दिखाती है ,आंगन में सूखते हैं वे, भीगती है मां


डॉ. ईला नरेन (टैक्सास) एक बार फिर घर लौटा हूं ,देखने के लिए ,कि मेरी तृप्ति में जो बसा रहा, वह शहर अब भी कितना मेरा है ।


डॉ मीरा रामनिवास (गांधीनगर) जीवन बचाना है ,तो गीता रामायण की तरफ लौटना होगा ।भौतिकता छोड़ आध्यात्म सीखना होगा ।


नलिनी पुरोहित (वडोदरा ) तुम्हारी एक भूल चावल संग कंकड समझ, निगल लिया था मैंने ।


अंत में डॉ अंजुला मुर्मू (झारखंड )से थी उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन दिया  ।

  
प्रतिभा पुरोहित, अहमदाबाद, मो. 9157714483
















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