समुद्र चलगीस


एक बादशाह था, जिसकी सात रानियाँ थीं, लेकिन उनमें से सबकी गोदें पतझड़ के पेड़ की तरह खाली थीं। एक दिन एक दरवेश महल के दरवाज़े पर आया और गाने लगा। सुनकर बादशाह ने वज़ीर से कहा, “यह कौन है? जो कुछ माँगता है दे दो।" वज़ीर ने दरवाज़ा खोला और पूछा, “तुम्हें क्या चाहिए?"


“मैं बादशाह से कुछ कहना चाहता हूँ।"


वज़ीर ने बादशाह को पुकारा और कहा, “उसे तुमसे काम है।" बादशाह महल से निकला तो दरवेश बोला, “मैं जानता हूँ कि तुम्हारे कोई लड़का नहीं है, इसलिए यह सेब लाया हूँ। अपनी सातों रानियों में से जिसे चाहो उसके साथ आधा सेब तुम खा लो। बहुत जल्द रानी की गोद भर जायगी।” यह कहकर वह चला गया।


कुछ दिनों बाद बादशाह के यहाँ एक लड़का पैदा हुआ। उसे पाकर वह इतना ख़ुश हुआ कि समझ न सका कि क्या करे। उसके प्यार को देखकर सब दाँतों तले उँगली दबा लेते थे। इसी बीच वह दरवेश फिर आया और बादशाह से बोला, “मैंने जो लड़का तुमको दिया था वह कहाँ है?” बादशाह ने कहा, “तुमने मुझे कब लड़का दिया था।" दरवेश बोला, “देखो, यह सब मत करो, वरना कहीं मुझे चिल्लाचिल्लाकर दुनिया को सच्चाई न बतानी पड़े।" बादशाह बोला, “जो काम तुम करना चाहो, करो। मैं तुम्हें लड़का वापस नहीं दूंगा।” यह सुनकर दरवेश ने महल की तरफ मुँह करके पुकारा, “चग़शम बादशाह!" बच्चा उसी समय खेलना छोड़कर महल के बाहर निकल आया और दरवेश के पास पहुँच गया। वह बोला, “तुम कहाँ थे, बाबा।" बादशाह यह दृश्य ताज्जूब से देख रहा था। यह देख दरवेश को रहम आ गया और बोला, “चलो, मैं अपने बेटे को तुम्हें ही दे देता हूँ।" और यह कहकर वह चला गया।


दिन आये और फिर साल बने, फिर सालों पर साल गुज़रते गये। लड़का जवान हो गया। एक दिन बादशाह से बोला, “मैं यहाँ से जाना चाहता हूँ और समुद्र चलगीस1 को अपनी रानी बनाना चाहता हैं।" बादशाह ने घबराकर कहा, "तम न जाओ. समद्र चलगीस जाने कितनों का सिर कटवा चुकी है और तुमको भी क़त्ल करवा देगी।" लड़का बोला, “नहीं, मैं ज़रूर जाऊँगा।" और महल से बाहर निकल गया। वह चलता गया, चलता गया, यहाँ तक कि समुद्र के किनारे पहुँच गया। देखा, पानी के ऊपर एक तैराक है, जो लगातार समुद्र में डुबकियाँ मार रहा है। कभी अन्दर जाता है तो कभी ऊपर आता है। फिर देखा कि उसने ऐसी डुबकी मारी कि एक घण्टे तक बाहर न निकला। जब वह बाहर निकला तो उसने देखा कि किनारे पर एक जवान खड़ा है। उसने पूछा, "कौन हो तुम?' जवान बोला, “सुनो तैराक, अगर तुमने चग़शम शाहज़ादे को देख लिया तो क्या करोगे?" "मैं उसका भाई बन जाऊँगा।" जब तैराक को यह पता चला कि यही चग़शम है तो उसका भाई बन गया और दोनों साथ-साथ चलने लगे। चलते-चलते वे ऐसी जगह पहुँचे जहाँ उन्हें सितारे शुमार मिला। वह सितारे गिनने में तल्लीन था। यह देख दोनों खड़े रहे और जब वह तारे गिन चुका तब इन्होंने पूछा, “अगर तुम्हें चग़शम बादशाह मिल जाय तो तुम क्या करोगे?" "मैं उसका भाई बन जाऊँगा।" जब उसे पता चला कि यह स्वयं चग़शम है तो वह उसका भाई बनकर साथ चलने लगा। तीनों चलते-चलते एक बियाबान में पहुंचे और एक बूढ़े आदमी को देखा जो फावड़े से गढ़े की मिट्टी निकाल रहा था। उसे देख चग़शम बोला, “तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो।' बूढ़े ने कोई जवाब नहीं दिया और उसी तरह धीरे-धीरे फावड़ा चलाता रहा जैसे कि वह किसी चीज़ से डर रहा हो। चग़शम ने फिर पूछा, "तुम्हें क्या हुआ है, कि तुम बिना आवाज़ के फावड़ा चला रहे हो?" बूढ़े ने उत्तर दिया, “यहाँ पर एक अज़दहा है, अगर मेरे फावड़े की आवाज़ सुन लेगा तो मुझे मार डालेगा।"


चग़शम, तैराक और सितारा गिननेवाले के साथ, शहर में घुसा और उसने देखा, वहाँ के सारे लोग प्यास के मारे तड़प रहे हैं और मर जाने के क़रीब हैं। यह देख चग़शम ने पूछा, “यहाँ क्या हुआ है?" वह बोले, “स्रोत नाम का एक अज़दहा है, जिसके लिए सात बोरे गेहूँ, सात हिरन व एक लड़की ले जा रहे हैं। इन्हें खाकर उसके मुँह से एक बूंद पानी की गिरेगी जिससे हम हफ्ते-भर गुज़ारा करेंगे।" चग़शम स्रोत अज़दहे के रास्ते पर गया और देखा, सात बोरे गेहूँ, सात हिरन व एक लड़की वहाँ पर है।" लड़की बहुत रो रही है, हिचकियों से उसका पूरा शरीर काँप रहा है। वह दुःखी हो गया और लड़की से पूछा, “क्यों रो रही हो?' लड़की बोली, “इसलिए कि अभी अज़दहा आयेगा और मुझे खा लेगा।' यह सुनकर वह बोला, "जब तक मैं यहाँ हूँ, वह ऐसा नहीं कर सकता। मैं उसे मार डालूँगा।' यह कहकर उसने अपना सिर उस लड़की की गोद में रख दिया और सो गया। सोने के पहले उसने लड़की से कहा, “जब अज़दहा आये तो मुझे जगा लेना।" जैसे ही अज़दहा आया और उसने चाहा कि लड़की को खा ले, शाहज़ादा उठा और तलवार से उसका सिर काट दिया और तेज़ पानी की लहर उसकी गर्दन से निकलकर शहर की ओर बह गयी। मौत से डरी हुई लड़की ने फ़ौरन खून से हाथ रंगे और चग़शम की कमर पर मल दिये।


शहर में सब ख़ुश थे और बादशाह तक यह ख़बर पहुँची। बादशाह ने पूछा, “किसने अज़दहे को मारा है?” जो भी उधर से आता कहता, “मैंने अज़दहे को मारा है।" तभी वह लड़की आयी और उसने बताया कि चग़शम राजा नाम के आदमी ने अज़दहे को मारा है।


बादशाह ने चग़शम को महल में बुलाया और कहा, “तुमने वह काम किया है कि मैं तुमको अपनी लड़की तक दे सकता हूँ।" चग़शम ने कहा, "मैं शादी नहीं कर सकता। आप मेरे भाई तैराक से अपनी लड़की का विवाह कर दें।" तैराक इस पर राज़ी न हुआ। आख़िर सितारे शुमार से शाहज़ादी का विवाह हो गया। चग़शम बादशाह व तैराक वहाँ से निकले और चलते-चलते आख़िर दोबारा एक शहर में पहुंचे। वहाँ भी लोग प्यास से मरनेवाले थे और सात बोरे गेहूँ, सात हिरन व एक लड़की अज़दहे के लिए तैयार रखी गयी थी। लड़की रो रही थी। यह सब देखकर चग़शम दुःखी होकर लड़की से बोला, “तुम अभी रोओ नहीं, मैं अभी अज़दहे को मारता हूँ।" यह कहकर वह लड़की की गोद में सिर रखकर लेट गया और सो गया। तैराक भी वहीं सो गया। आधा दिन भी नहीं गुज़रा था कि अज़दहा आ गया और चाहता था कि लड़की को खा ले, तभी तलवार से शाहज़ादे ने उसकी गर्दन अलग कर दी। उसमें से मोटी पानी की धार बह निकली। यह देखकर शहरवासी ख़ुशी से पागल हो गये। यह ख़बर बादशाह के पास पहुँची। बादशाह ने कहा, “तुमने जो काम किया है, उसके बदले में मेरी लड़की ले लो।" बादशाह की बात सुनकर वह बोला, “मुझे विवाह नहीं करना है। अगर आप चाहें तो मेरे भाई तैराक से कर दीजिये।” तैराक विवाह के बाद वहीं रह गया और चग़शम आगे निकल गया।


अब दो काम हो गये थे। उसका दिल चाह रहा था कि समुद्र चलगीस को ढूँढ़े। चलते-चलते वह शहर के फाटक पर पहुंच गया। वहाँ उसने देखा कि एक बुढ़िया बैठी है और हैरत से उसे देख रही है। वह बोली, “कहाँ जाओगे?" "इसलिए आया हूँ कि समुद्र चलगीस को अपना बना लूँ," चग़शम ने कहा। बुढ़िया बोली, “ज़रा दरवाज़े पर तो देखो, हज़ारों सिर वहाँ लटके हैं। यह सब उसके हाथ थामने के लिए आये थे, मगर अब उनकी हड्डी के सिवा कुछ नहीं बचा है। यह सारे मरे हुए शाहज़ादे हैं, जो कभी उसे अपना बनाने आये थे, अब तुम क्या चाहते हो?"


चग़शम बुढ़िया की बात अनसुनी कर आगे बढ़ा। चलते-चलते जब महल के समीप पहुँचा तो सीधा महल में घुस गया। उसने देखा, वहाँ पर समुद्र चलगीस सो रही है। उसने जाकर उसके स्तनों को पकड़ लिया। वह नींद से जाग उठी और बहुत तड़पी मगर उसने नहीं छोड़ा। आख़िर बोली, “माँ के दूध, बाप के दुःख की क़सम, मुझे छोड दो।" यह सुनकर चग़शम ने उसे छोड़ दिया। समुद्र चगलीस ने जब उसे देखा तो उसकी सुन्दरता की दीवानी हो गयी और उसी दिन से उसके साथ सहवास कर, नयी ज़िन्दगी शुरू कर दी।


एक हफ्ते बाद एक शाहज़ादा, जो चलगीस का दीवाना था, उसे मालूम हुआ कि समुद्र चलगीस ने विवाह कर लिया है। यह सुनते ही वह तड़प उठा और फ़ौरन शहर के दरवाज़े पर पहुंचकर बुढ़िया से बोला, “ऐसा काम करो जिसके बदले में, मैं तुमको अपने वज़न के हीरे-जवाहरात दूं। बस तुम महल में जाकर चग़शम को मार डालो।" बुढ़िया मान गयी और चल पड़ी। महल के बाहर बैठकर रोने लगी। समुद्र चलगीस ने ऊपर से देखा कि एक बुढ़िया महल की दीवार से लिपटी रो रही है। यह देखकर वह दुःखी हो चग़शम से बोली, “उसको अन्दर ले आओ।" चग़शम बोला, "यह बुढ़िया हमारी ज़िन्दगी खून से भिगो देगी।"


“बेचारी बुढ़िया क्या करेगी, कुछ करेगी तो देख लूंगी।" चग़शम न चाहते हुए भी उसे बुला लाया। जब से बुढ़िया महल में आयी, इधर-उधर घूमती रहती, कमरे देखती-भालती रहती, ताकि मौक़ा मिलते ही अपना काम पूरा करे। आख़िर एक दिन उसे मौक़ा मिल ही गया। उसने एक रात देखा कि चग़शम सो गया है और समुद्र चलगीस ने उसकी कमर से तलवार निकालकर छुपा दी है। फिर उसने देखा कि वह रोज़ यह करती है। यह देखकर बुढ़िया ने उससे पूछा, “यह क्या काम है, जो तुम करती हो?"


"उस भेद को तुमसे कहकर क्या फायदा होगा?" समुद्र चलगीस बोली। बुढ़िया ने चालाकी से इसरार किया और आख़िर चलगीस ने कहा, “जब तक उसकी कमर में तलवार है वह ज़िन्दा है, वरना मुरदा।"


एक रात चग़शम और समुद्र चलगीस एक साथ सो रहे थे। बुढ़िया धीरे से कमरे में घुसी और चगशम की कमर से तलवार निकाल समद्र में फेंक दी। उसी दिन सितारे शुमार ने देखा, आसमान में उसके भाई का सितारा नहीं है। वह घबरा गया और रोने लगा और सीधे तैराक के पास पहुँचकर बोला, “हमारे भाई का सितारा आसमान से ग़ायब है।" दोनों सीधे चग़शम के शहर की ओर भागे। उन्होंने देखा कि चलगीस आँसुओं से भीगी है और बीच बिस्तर पर चग़शम मुर्दा पड़ा है। वे बोले, “तुमने उसको मारा है?" समुद्र चलगीस ने सब-कुछ बता दिया। सुनकर तैराक समुद्र में कूद गया और घण्टे-भर बाद तलवार लेकर आया। फ़ौरन चग़शम ज़िन्दा हो गया और बुढ़िया को इस काम के इनाम में शहर के दरवाज़े पर कीलों से ठोंक दिया गया। सितारे शुमार और तैराक अपने शहर लौट गये और चलगीस व चग़शम दोनों एक-दूसरे में डूबे, जब तक धरती पर रहे, ख़ुश रहे।


1. चलगीस, यह नाम है और इसका अर्थ है चालीस बालों की लटों का समुद्र।


अनुवाद: नासिरा शर्मा, नई दिल्ली, मो. 9811119489


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