क़ाबूसनामा
'क़ाबूसनामा’ – यह फारसी गद्य की महत्वपूर्ण किताब है जो उपदेशों और सत्यवचनों से परिपूर्ण है। इस किताब के लिखने वाले अलज़ियार बादशाहों में से एक बादशाह 'हमीर अन्सुरुलमौआली कैकाऊस बिन सिकन्दर बिन क़ाबूस व शमगीर हैं। इन्होंने अपने पुत्र गीलानशाह के लिए यह पुस्तक लिखी थी।
इनका राज्य तबरीस्तान और गुरगान व नीलान तक था। यह एक कलाप्रेमी विद्या पंडित ईरानी बादशाह थे जो कविता, ज्योतिष-विद्या और स्वर विद्या के प्रेमी और ज्ञानी थे। इस किताब में इन्होंने अपनी कला की कहानियों का रूप देकर अपनी वाणी और विचार बेटे को दिये और लोगों तक पहुँचाए हैं।
“क़ाबूसनामा” 460 हिज़री में लिखा गया था। इसके 44 परिच्छेद हैं जो उस समय की कला रीतिरिवाज़ों, व्यापार, राजकाज, विद्या के बारे में कहानियों व छोटी हिकायतों के द्वारा हमको ज्ञान देते हैं और उस काल से अवगत कराते हैं कि उस समय सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक व नैतिक मर्यादाएँ और आवश्यकताएं क्या थीं।
क़ाबूसनामा को पढ़कर लगता है कि बादशाह ने संसार को देखा है। एक बादशाह की नज़र से नहीं बल्कि एक इन्सान, एक बुद्धिजीवी की नज़र से। भाषा शैली को देखते हुए यह किताब उस ज़माने की सरल फारसी गद्य का एक बेहतरीन नमूना है जो बताता है कि लेखक अपने समय का प्रतिभापूर्ण लेखक था जो अपनी पैनी दृष्टि से जीवन के व्यवहारों का मूल्यांकन करता रहता था।
अनुवाद: नासिरा शर्मा, नई दिल्ली, मो. 9811119489