साहित्य नंदिनी आवरण पृष्ठ 4


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‘पारो’: संवेदनशील, परिपक्व, संस्कारित और नारी आदर्शों से उपदेशित एक सुशील कन्या है। देवदास एक सामंती परिवार का बेटा है। उनके बचपन के प्यार ने सामंती अहम् की चैखट पर ही दम तोड़ दिया। पारो की माँ ने अपने अकिंचिन अहम की भूख मिटाने के लिए उसी टक्कर के दूसरे विधुर सामंती के हाथों पारो का सौदा कर लिया। पारो ने सामाजिक अन्याय एवं नाकार से आहत होकर हालात से समझौता कर लिया और देवदास ने चन्द्रमुखी के कोठे में जा कर पनाह ले ली। और देवदास ने पारो के गाँव में रायसाहब की हवेली के बाहर बटवृक्ष के नीचे दम तोड़ दिया।


पारो - रानी तो है- पत्नी नहीं।
नारी तो है पर प्रेयसी नहीं।


अपनी सुघड़, सचेत, समर्पणभाव वाली सोच से पारो ने पत्नी का रूतवा भी और प्रेयसी का प्रारब्ध भी हासिल कर लिया।


मूल्य: 450
पृष्ठ: 330
लेखक: सुदर्शन प्रियदर्शिनी, यू.एस.ए
सभ्या प्रकाशन, मो. 9910497972
अमाजाॅन पर भी उपलब्ध है।


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