अभिनव इमरोज़ कवर पेज - 3
कल करे सो आज
बंदरिया मामी ने बंदर को
करने को दिया एक काम
जितना जल्द हो सकता है
दे दो काम को अंजाम।
बंदर ने इस कान सुनी
बाहर निकाली दूजे कान
लापरवाही और आलस कारण
सोता रहा खूब खूंटी तान।
देरी हो जाने के कारण
फिसल गई मुट्ठी से रेत
अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गई खेत।
बंदरिया मामी नाराज हुई
बोली बंदर मामा से तब
कल करे सो आज कर
आज करे सो अब
पल में प्रलय होत है
बहुरि करेगा कब।
लालच बुरी बलाय
एक दिन बंदर मामा ने
खाने की चीज़ चुराई
चोरी कभी छुपती नहीं
तुरंत पकड़ में आई।
देख रहा था दुकानदार
उसने ऐसा लट्ठ चलाया
टूट गई बंदर की टांग
लंगड़ा-लंगड़ा घर आया।
जंगल में सबने पूछा था
यह क्या हुआ बंदर भाई
कारण नहीं बता पाया
क्योंकि उसको लाज आई।
यह सब देख बंदरिया मामी
मन ही मन में मुस्काई
बंदर मामा की लालच ने
अच्छी भली टाँग तुड़वाई।
मामी सिर ठोक के बोली
मेरे फूटे किस्मत हाय
माखी गुड़ में गड़ी रहे
औ पंख गयो लिपटाय
उड़ने को मुश्किल भयो
होय लालच बुरी बलाय।
सदाशिव कौतुक, इन्दौर, मो. 9893034149