अथाह सागर में 'स्मृतियों की लहरें'

राजेश बैरागी


अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध लेखक ने लिखा था। पानी के जहाज पर यात्रा करते हुए आपके पास करने के लिए कुछ खास नहीं होता। दिन में चारों ओर जल ही जल और रात्रि के अन्धकार में आकाश के तारों को निहारने के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता।'  इस सत्यता के विपरीत मालवाहक जहाज पर यात्रा करते हुए यदि कोई महिला समुद्र की लहरों से जमाने भर की स्मृतियां संजो ले तो ऐसा करने वाली महिला कोई लेखिका ही हो सकती है। रविवार की शाम इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में सुपरिचित लेखिका प्रतिभा जौहरी अपनी समुद्री यात्राओं के अनुभव पर ऐसी ही पुस्तक 'स्मृतियों की लहरें' लेकर उपस्थित हुईं। उनके पति स्वदेश जौहरी मर्चेंट नेवी में जहाज कप्तान थे। उनके साथ प्रतिभा जौहरी ने लंबे समय तक सात समंदर की यात्राएं की। उन्होंने इन यात्राओं को बेजा नहीं जाने दिया। उन्होंने यात्रा के दौरान जहाज के अंदर और जहाज से बाहर, अनेक देशों की समाज, संस्कृति का अपने तरीके से अनुभव किया और संस्मरणों पर आधारित इस पुस्तक की रचना की। पुस्तक में लगभग दो दर्जन संस्मरण हैं जिनमें हर एक में समुद्र का संघर्ष, प्रेम और उदासी का चित्रण तो है ही, दुनिया से दूर एक अलग दुनिया की कहानी भी है। विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शैलेन्द्र शैल ने की और संचालन विवेक गौतम ने। इस मौके पर लक्ष्मी शंकर वाजपेई, महेश दर्पण, अमरनाथ अमर, आशीष कांधव, डॉ रमा सिंह, प्रीति पेंटर,अक्षरा आदि दिग्गज साहित्यकार, कलाकार व नोएडा लोक मंच के महासचिव महेश सक्सेना तथा विभा बंसल आदि प्रमुख लोग मौजूद थे। (नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)


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