बाल कविताएँ प्रश्न बाल मन के..

 



मंजु महिमा, अहमदाबाद,  मो. 9925220177


 


तितली रानी


तितली रानी तितली रानी,


कितनी सुंदर ओ सयानी,


फर्र फर्र फिरकी सी उडती,


फूलों पर मंडराती रहती,


कभी हमारे हाथ न आती,


सबके मन को खूब लुभाती


बात मेरे जो समझ न आती,


इतने रंग भला कहाँ से लाती ???


 


बिल्ली मौसी


तुम पेड़ों पर भी चढ़ जातीं


चिड़ियों को भी खूब सताती,


दबे पाँव घर में भी घुस आतीं,


दूध मेरा झट चट कर जातीं,


पकड़ कभी ना मेरे आतीं


(पकड पकड चूहों को खातीं.)


फिर भी तुम मौसी कहलातीं


नहीं समझ में मेरे यह आता


मम्मी से तुम्हारा क्या नाता???


 


मकड़ी रानी


मकड़ी रानी ,मकड़ी रानी,


तुम्हें देख याद आती नानी.


कितना सुंदर जाल बनाती,


जैसे नानी मां टोकरी बनाती


कमरे के कोनों में रहती,


ऊपर नीचे घूमती रहती


एक बात तो ज़रा बताना


जाल बनाना कौन सिखाता ?


 


जलेबी रानी


कैसी हो तुम! जलेबी रानी,


देख देख मुँह में आता पानी.


बाहर से गोल-गोल पीली-पीली,


लगती कितनी सुन्दर चमकीली!


कैसे इतनी पतली और रसीली!,


खाते चाव से सभी सखा सहेली.


बात  मुझे  यह समझ न आती,


इतना रस यह कहाँ से ले आतीं ?


 


टोमी


जब भी तुमको टोमी कहते,


दुम हिलाते तुम दौडे़ आते.


दिन में तो जी भर सोते रहते,


रात को जग रखवाली करते.


सदा कान खड़े तुम रखते,


आहट होते ही तुम भग लेते.


स्वामी भक्त तुम कहलाते,


प्यार से सब तुमको सहलाते.


बस बात एक समझ न आती,


पूंछ न क्यों तुम सीधी रख पाते???


 


गुलाब जामुन


गोल-गोल गुलाब जामुन


गोलम गोल लगते प्यारे,


मिठाइयों में तुम सबसे न्यारे .


हर समय रस में डूबे हो रहते


सबके मन को रहते हो हरते .


मीठी मीठी खुशबू फैलाते,


सब बच्चों को हो ललचाते.


राज़ ये कुछ समझ ना आते,


न गुलाब न जामुन से तुम दिखते.


फिर तुम्हें गुलाब जामुन क्यों कहते ????


 


कौआ और कोयल


कौआ काला, कोयल काली,


दोनों लगते एक समान.


दोनों ही अपने पंख फैलाते,


दोनों उड़ते एक समान.


कौआ बोले, कोयल बोले,


नहीं दोनों की बोली समान.


कौए भाई! बोल यदि तुम मीठा पाते,


लोग तुम्हें ना कभी भगाते


बात समझ मेरे नहीं आती,


कोयल कैसे मीठा कूक पाती?


 


उल्लू जी


उल्लू जी उल्लू जी!


कैसे हैं आप उल्लू जी?


दिन भर सोते रात जागते,


कोटर में घर अपना बनाते


गोल गोल आंखें घुमा कर,


रात में सब कुछ देख पाते


लक्ष्मी के वाहन कहलाते,


समझदार तो खूब ही लगते.


राज़ ये हम समझ ना पाते.


चारों ओर गर्दन कैसे घुमाते?



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