ग़ज़ल
पूनम प्रकाश, कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड, मो. 7895053131
इस तरफ आँख के रस्ते से निकाले धोखे।
उस तरफ दिल ने हसीं फिर नए पाले धोखे।
कर दिया पहले सराबों के हवाले और फिर
प्यास को मैंने पुकारा कि संभाले धोखे।
हर कदम पर रहा बेदार ये नाबीना पन,
खा गए यार मग़र देखने वाले धोखे।
एक दो हो तो यकीं जान के कर लूं, लेकिन,
यार तूने तो हर इक बात में डाले धोखे।
रक़्स करते हैं अँधेरों में तो उरयाँ शब भर,
ओढ़ कर रहते हैं दिन भर ही उजाले धोखे।
दिल के हक़ में तो वो ही एक बशर दाना है,
मूँद कर आँख जो सीने से लगा ले धोखे।
रेज़ा रेज़ा है मेरी प्यास यक़ीनी लेकिन,
क़तरा क़तरा ये तेरे सारे पयाले धोखे।