लघुकथा


डॉ. अशोक भाटिया,


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Mob. 094161-52100


 


सपना


दोपहर को बच्चा स्कूल से लौटा, तब चिड़िया पेड़ पर आराम कर रही थी। बच्चे की माँ ने उसे दुलराया, खाना खिलाया और कहा–“बेटे, होमवर्क करो और अपने पेपरों की तैयारी करो।”


बच्चा पढ़ने बैठा। चिड़िया ने दाना चुगा, पानी में किल्लोल किए। बच्चा पढ़ता रहा,हालाँकि उसका ध्यान अपने खिलौनों की तरफ़ लगा हुआ था।


साँझ को चिड़िया घोंसले में लौट गई,बच्चा बिस्तर में चला गया।


सुबह जब चिड़िया आकाश में चहकने लगी, तब बच्चा पढ़ने बैठा था। स्कूल जाने से पहले उसने कहा– “माँ, जब मैं यूनिर्वस्टी पढ़ लूँगा, तो उसके बाद खूब खेलूँगा, कोई काम नहीं करूँगा।”


 


जन्मदिन


छह वर्ष की भव्या का जन्मदिन था। सुबह माँ ने भव्या से पूछा– जन्मदिन पर तुझे फ्रॉक ले दूँ ?


भव्या ने सोचकर कहा– मुझे फ्रॉक नहीं लेनी, मुझे ‘वॉच’ ले दो।


माँ-बाप भला क्यों न मानते ! वे बाज़ार गए और बेटी को पसंद की घड़ी ले दी । वह खुश थी ।


पिता ने पूछा– बेटे अब क्या खाओगे ? बोलो ।


भव्या फ़ौरन बोली- पहले मम्मी की इच्छा तो पूरी कर दो।”


मम्मी की इच्छा ! जन्मदिन भव्या का और इच्छा मम्मी की !


पिता ने भव्या की माँ की तरफ सवालिया निगाहों से देखा। माँ हँस पड़ी। बात बिगड़ न जाए, सो भव्या ने फ़ौरन कहा कि माँ ने सुबह उसे फ्रॉक लेकर देने को कहा था।


बेटी की चुस्ती पर माँ -बाप हँस पड़े ।


 


नाराज़गी


बेटी नाराज़ थी


पापा ने पूछा–  क्यों नाराज़ हो ?


बेटी चुप


केबल की तार काट दी, इसलिए ?


हाँ


स्कूल के टेस्ट हो जाएँ, फिर लगा देंगे


बेटी चुप


और किसलिए नाराज़ हो ?


बेटी चुप


कल तू सोने आई, तो मैं उठकर तेरे भाई के पास चला गया, इसलिए ?


हाँ, आप उसे ज्यादा प्यार करते हो


(हँसकर) ऐसा नहीं है। वो छोटा है न, इसलिए


पर मैंने सोने से पहले आपको लातें जो मारनी थीं। उसके बिना मुझे नींद नहीं आती।


सुनकर पापा के साथ बेटी भी हँसने लगी


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