मौन


डॉ. निर्मल सुन्दर, नई दिल्ली, मो. 9910778185


मौन


तुम सदा मौन रहते हो


मौन में छिपी है शक्ति


अपार शान्ति


स्थिरता असीम


कभी भी विचलित नहीं होते


इसी लिये कहलाते हो


ब्रह्माण्ड के नियन्ता।


 


मौन के सम्मुख


शब्द नृत्य करने लगते हैं


अस्त्र-शस्त्र झुक जाते हैं


ज्ञान थरथराने लगता है


अहंकार कोने में


सिमट जाता है।


मौन में होता है संचय शक्ति का


इसे बिखरने नहीं देता यह


इसे पकड़े-पकड़े


उठती है इस से गूंज


जो करती है नाद


और बन जाती है


अनहदनाद


जिसमें छिपे हो तुम


ब्रह्माण्ड के नियन्ता!


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