रोमा गुप्ता की कविता


रोमा गुप्ता, लुधियाना, मो. 7837891343


 


वो कहते हैं हमसे कि वक़्त ज़ाया करते हैं हम,


उन्हें ख़बर हो या न हो उन्ही को तो दिल दे बैठे हैं हम।


उनकी हर बात को गौर करते हैं हम,


उनकी हर डांट हंस कर सह लेते हैं हम,


फिर भी वो कहते हैं कि वक़्त ज़ाया करते हैं हम।


जैसे पल्कों के बीच आँखों की पुत्ली रखते हैं हम,


वैसे ही उन्हें अपने दिल में बसाकर रखते हैं हम,


आज ज़िंदा भी हैं तो उन्हीं की वजह से हैं हम,


फिर भी वह कहते हैं कि वक़्त ज़ाया करते हैं हम।


ख़बर तो रखते हैं उनकी हर धड़कन कि हम,


उनका एहसास किये बिना बिल्कुल अकेले हैं हम,


उनकी परछाई बनके रहना पसंद करते हैं हम,


फिर भी वो कहते हैं कि वक़्त ज़ाया करते हैं।


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